गुरुग्राम में नमाज को लेकर हो रहे बवाल पर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। जैसे पिछले दिनों खबर आई थी कि गुरुद्वारे में मुस्लिमों को नमाज पढ़ने का ऑफर दिया गया है लेकिन, बाद में पता चला कि जुमे की नमाज से ठीक एक दिन पहले गुरु पर्व (प्रकाश परब) का हवाला देकर इस पर रोक लगा दी गई। दूसरी ओर ये भी पता चला कि कुछ सिख समुदाय के लोग ही मुस्लिमों को गुरुद्वारे में जगह देने की बात का विरोध कर रहे थे।
अब तरह-तरह की बातों के बीच हमने सच्चाई जानने के लिए समिति अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिद्धू से सीधी बात की। इस बातचीत मे पता चला कि मुस्लिमों को दिया गया ऑफर एक व्यक्ति विशेष यानी सिर्फ उनका था न कि पूरी गुरुद्वारा कमेटी का। अन्य कुछ सिख तो इस फैसले को भाईचारा खराब करने वाली बात भी कह रहे हैं।
गुरुद्वारे में मुस्लिमों को नमाज पढ़ने का ऑफर देने वाले गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा, सदर बाजार के अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिद्धू से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि वो ऑफर भाईचारे में दिया गया था लेकिन गुरुद्वारे में नमाज होगी या नहीं, इसका फैसला कमेटी बैठा कर ही किया जाएगा। शेरदिल सिंह ने कहा,
“मेरा बयान भाईचारे का बयान था। अगर वो अलगे शुक्रवार को जगह माँगते हैं तो उस पर कमेटी का फैसला अगले के अगले शुक्रवार को आएगा। बाकी मुसलमान भाइयों को गुरुद्वारे में नमाज़ पढ़नी भी नहीं है। वो तो आज भी बोल कर गए हैं कि हमने तो सिखों के दिल में नमाज़ पढ़ी है।”
शेरदिल सिंह ने सवालों के जवाब देते हुए बताया कि गुरुद्वारे में इससे पहले नमाज नहीं पढ़ी गई है। जब उनसे ये पूछा गया कि उनके बयान का विरोध उनके ही समुदाय के लोग कर रहे हैं। तो वह बोले, “मैंने कहा भर है कि आ कर पढ़ लेना। लेकिन इस पर अंतिम निर्णय कमेटी और संगत ही बैठ कर लेगी।”
कमेटी अध्यक्ष कहते हैं कि मुस्लिम गुरुद्वारे में नमाज नहीं पढ़ना चाहते हैं। अगर चाहते तो आज भी आ गए होते। इस जवाब को सुन जब शेरदिल से जब पूछा गया कि क्या अगर आज आ गए होते तो गुरुद्वारा इसके लिए तैयार था? तो उन्होंने बताया कि गुरुद्वारा कमेटी इसके लिए रेडी नहीं थी।
उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक मुस्लिमों द्वारा गुरुद्वारा नमाज पढ़ने के लिए नहीं माँगा गया है। अगर ऐसा हुआ तो कमेटी में कई लोग हैं। सब मिलकर फैसला लेंगे और वहीं आखिर फैसला होगा।
शेरदिल सिंह ने संदेश दिया कि गुरुद्वारा तो गुरु का घर है। यहाँ मत्था टेकने के लिए हिंदू भी आ सकते है और मुसलमान भी। अगर 8 – 10 मुसलमान हमारे गुरुद्वारे में आ कर मत्था टेक रहे हों और हमारे शबद कीर्तन सुन रहे हों तो उनको कोई कहे कि देखो वो नमाज़ पढ़ रहे हैं तो ये गलत है।”
गुरुद्वारे में नमाज पढ़ने की पेशकश का अन्य जगह विरोध
यहाँ बता दें कि इससे पहले गुरुद्वारा श्री गुरु गोविंद सिंह सभा मदनपुरी के अध्यक्ष जवाहर सिंह ने कहा था कि गुरुद्वारे में कोई भी गुरबानी में भाग ले सकता है, मत्था टेक सकता है और लंगर में शामिल हो सकता है। इसके अलावा यहाँ दूसरा कोई कार्य ठीक नहीं है। यदि मुस्लिमों को नमाज पढ़नी है तो उसकी जगह मस्जिद है। यदि मुस्लिम समुदाय गुरुद्वारे में नमाज पढ़ेंगे तो इससे माहौल सुधरने की बजाय बिगड़ जाएगा।
सिख समुदाय से पहले मालूम हो कि हिंदू संगठन लगातार मुस्लिमों द्वारा खुले में नमाज पढ़ने का विरोध कर रहे थे। जब गुरुद्वारे से उन्हें जगह की पेशकश हुई तो भी उन्होंने ये सवाल किया कि आखिर मुस्लिम मस्जिद में नमाज क्यों नहीं पढ़ सकते। गुरुग्राम में सेक्टर 47, सेक्टर 12 और अन्य जगहों पर स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन कभी भी नमाज़ से इनकार करने या मुस्लिमों को नमाज़ पढ़ने से रोकने को लेकर नहीं था। विरोध-प्रदर्शन सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्कों और सड़कों को नमाज के लिए ब्लॉक किए जाने और सुरक्षा, विशेषकर महिलाओं की चिंताओं को लेकर था।
इसके बावजूद सेक्टर 12 के अक्षय यादव जैसे सेकुलर लोगों ने आगे आकर मुस्लिमों को नमाज के लिए अपने गैरेज की जगह ऑफर की, जहाँ बताया जा रहा है कि आज नमाज भी पढ़ी भी गई। ऐसे ही एक अन्य वीडियो और सामने आई है। इसमें मोहम्मद आदिब और अल्ताफ अहमद गुड़गांव नागरिक एकता मंच के सदस्यों के साथ गुरुद्वारा कमेटी को गुरु पर्व की बधाई देते दिख रहे हैं। दोनों वीडियो कारवाँ-ए-मोहब्बत के ट्विटर हैंडल पर शेयर हुई हैं।
India shall stand united
Mohd. Adeeb and Altaf Ahmad along with members of the Gurgaon Nagrik Ekta Manch being welcomed by members of the Gurudwara Committee, as they arrive to wish Sikhs on #Gurpurab pic.twitter.com/qF7ma80qx4
— Karwan e Mohabbat (Caravan of Love) (@karwanemohabbat) November 19, 2021