पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद का विवादों से पुराना नाता रहा है। दिल्ली से पटना आने के साथ ही बिहार की राजनीति के साथ लालू परिवार में भी दोतरफा विवाद खड़ा हो गया है। पहले से ही पार्टी और परिवार में खुद को उपेक्षित महसूस करते आ रहे तेजप्रताप यादव ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के व्यवहार से आहत होकर पार्टी से नाता तोडऩे का ऐलान कर दिया। जगदानंद को पार्टी से बाहर निकालने की मांग को लेकर देर रात अपने आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। रविवार रात साढ़े नौ बजे के करीब राबड़ी देवी और लालू प्रसाद के पहुंचने पर ही तेजप्रताप माने और धरना खत्म किया।
पहली बार तेजप्रताप ने अपने ‘अर्जुन’ (भाई तेजस्वी यादव) पर भी खुलकर हमला बोला है। कहा कि यही रवैया रहा तो अर्जुन गद्दी पर नहीं बैठ पाएंगे। उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। अंधड़ आए या शीत गिरे। पिता के आने तक धरना जारी रहेगा। उनके निशाने पर जगदानंद सिंह के साथ तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव हैैं। दिल्ली से चलने के पहले लालू ने दोनों भाइयों में किसी तरह के विवाद से इन्कार किया था और कहा था कि दोनों एक हैैं।
तेजस्वी बच्चा नहीं, सुधर जाएं
देर रात अपने समर्थकों के साथ धरना पर बैठे तेजप्रताप ने अपने भाई तेजस्वी के खिलाफ खुलकर बोले। चेताया भी कि रवैया सुधारें, नहीं तो संघर्ष होगा। वह बच्चा नहीं हैैं। अब बड़े हो गए हैैं। उन्होंने कहा कि मैैं संघर्ष की उपज हूं। लगातार बोलता रहा हूं कि मुझे अपने अर्जुन को मुख्यमंत्री बनाना है, किंतु अब दुख हो रहा है। तेजस्वी और संजय पर आरोप लगाया कि पार्टी का अपहरण कर लिया है। कहा कि संजय को साथ लेकर चलिएगा तो पार्टी का भला नहीं होगा। उन्हें कौन पहचानता है।
पिता के स्वागत की भव्य तैयारी थी
राबड़ी देवी के सरकारी आवास से अलग रह रहे तेजप्रताप ने अपने स्तर से पिता के स्वागत की तैयारी कर रखी थी। अपने आवास में बड़े अरमान से लिखवाया था-वेलकम माई फादर। दरवाजे को गुब्बारे से सजाया था। हवाई अड्डे पर भी अपने नए संगठन जनशक्ति परिषद की टोली के साथ उत्साह के साथ गए थे। लालू के आने के करीब दो घंटे पहले ट्वीट कर पिता को शेर बताया था और विरोधियों गीदड़। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील मोदी से आग्रह किया था कि लालू के स्वागत में वे भी फूल-माला लेकर हवाई अड्डा पहुंचें, लेकिन उनके अरमान को उस समय धक्का लगा जब उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप माहौल नहीं मिला। हवाईअड्डे पर पार्टी नेताओं की ओर से सम्मान नहीं मिला। राबड़ी देवी के आवास तक आते-आते सब्र जवाब दे गया।