सिंघु बॉर्डर पर गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के मामले में बेरहमी से मार दिए गए लखबीर सिंह के मामले निहंग नेता ज्ञानी शमशेर सिंह का कहना है कि धर्म की रक्षा बिना ताकत के नहीं हो सकती। उन्होंने दावा किया, ‘पहले भी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले सामने आए थे। हमने तब गुनहगार को पुलिस के हवाले किया था, लेकिन पुलिस कुछ दिनों में उसे छोड़ देती है। इसलिए इस बार हमने सबक देने के लिए उसे गुनाह के बराबर की सजा दी, ताकि दोबारा ऐसा कोई करने की हिम्मत भी न करे, और फिर भी दोबारा ऐसा हुआ तो हम उसे फिर ऐसा ही ‘प्रसाद’ देंगे।’
पिछले करीब एक साल से किसानों का धरना स्थल बने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर मंच के सामने शुक्रवार तड़के एक युवक की हत्या कर दी गई। यह हत्या इतनी बर्बर थी कि देखने वाले दहल गए। इस हत्या का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें सिखों के सबसे आक्रामक समूह ‘निहंग’ इस मृत व्यक्ति के आसपास दिखाई दे रहे हैं। इस पूरे मसले को लेकर ‘दैनिक भास्कर’ ने ‘राष्ट्रीय अकाली निहंग सिंह खालसा बुद्धा दल’ में गुरु ग्रंथ साहिब की देखरेख और पूजा-पाठ का जिम्मा लेने वाली टीम के ‘मुखिया ज्ञानी शमशेर सिंह’ से बातचीत की।
सख्त संदेश नहीं दिया तो मनमर्जी करने लगेंगे सब
शमशेर सिंह से जब यह पूछा कि क्या इतनी क्रूर हत्या को आप जायज ठहराते हैं? उनका जवाब था, ‘ धर्म की रक्षा बिना ताकत के नहीं होती। हिंदुओं में क्षत्रिय भी धर्म की रक्षा के लिए तलवार उठाते हैं। अगर सख्त संदेश नहीं दिया जाएगा तो सभी अपनी मनमर्जी करेंगे। जो हुआ वह जरूरी था, अब कोई भी दोबारा ऐसी हिम्मत नहीं करेगा।’ दरअसल वे कह रहे थे कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने से बड़ा कोई गुनाह नहीं। गुनाह जितना बड़ा, सजा भी उतनी ही बड़ी।
गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी एक गुनाह है, लेकिन देश में पुलिस भी तो गुनाहों की सजा देने के लिए है, क्या उसके हवाले इस आदमी को नहीं किया जा सकता था? शमशेर सिंह का जवाब था, ‘ पहले भी कई बार इस तरह की बेअदबी के मामले सामने आए, गुनहगार को पुलिस को सौंपा भी गया। लेकिन पुलिस ने उसे थोड़े दिन में छोड़ दिया। इसलिए हमने एक मिसाल के तौर पर इस घटना को अंजाम दिया। अगर दोबारा किसी ने गुरु ग्रंथ साहिब की तरफ आंख उठाकर भी देखा, तो हम फिर उसको ऐसा ही ‘प्रसाद’ देंगे।’
निहंग नेता ज्ञानी शमशेर सिंह से जब पूछा गया कि क्या घटना स्थल पर किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की? तो उन्होंने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में स्थित हजूर साहिब गुरुद्वारे में हूं। मैं उस वक्त वहां मौजूद नहीं था। इसलिए किसी ने रोका या नहीं रोका, इस पर कुछ नहीं कह सकता हूं।’
हमारी एक सेना है, निहंग भी किसान होते हैंं
उन्होंने आगे कहा, ‘निहंग योद्धा होते हैं। हमारी एक सेना है। यह सेना रक्षा के लिए होती है। धर्म की रक्षा, सिखों के ऊपर हो रहे अत्याचार से उनकी रक्षा। इसलिए गुरु ग्रंथ साहिब पर अगर हमला होगा, बेअदबी की जाएगी तो उसके खिलाफ निहंगों की तलवार बाहर निकलेगी। हम किसान आंदोलन में भी शामिल हैं। निहंग भी किसान होते हैं।
बतौर किसान भी हम प्रदर्शन स्थल में शामिल थे। लेकिन हमारी भूमिका वहां एक रक्षक की भी है।’ तो क्या आप लोग धरने स्थल पर शुरू से हैं? उनका जवाब था, ‘नहीं, हम पहली बार 26 जनवरी 2020 में दिल्ली के लाल किले तक हुए प्रदर्शन दल में शामिल हुए थे। हमारा समर्थन धरना दे रहे किसानों को पहले से था। लेकिन उस घटना के बाद सिंघु बॉर्डर में हमने डेरा जमाया। ताकि किसान आंदोलन को कोई नुकसान ना पहुंचा सके।’
क्या प्रदर्शन में शामिल किसान संगठनों ने आपसे समर्थन मांगा था? शमशेर सिंह ने दो टूक जवाब दिया, ‘ नहीं, कभी नहीं। हम अपनी मर्जी से अपने अस्त्र शस्त्र और घोड़ों के साथ पिछले साल हुए प्रदर्शन में शामिल हुए थे।’
निहंगों का आरोप- लखबीर को पैसे देकर बेअदबी के लिए भेजा गया
निहंगों का कहना है कि लखबीर को साजिश के तहत गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए भेजा गया था। इसके लिए उसे 30 हजार रुपए दिए गए थे। यहां घोड़ों की सेवा कर रहे निहंगों ने उसे पकड़ लिया और घसीटते हुए पंडाल के पास लाया गया।
लखबीर का मौत से पहले का वीडियो भी सामने आया
मौत से पहले के एक वीडियो में लखबीर खून से लथपथ तड़पता हुआ दिख रहा है। कुछ लोग उससे कह रहे हैं कि अपना नाम बताओ, कहां से आया और किसने यहां भेजा? वो कह रहा है कि सच्चे पातशाह गुरु तेग बहादुर निहंगों को मेरा वध करने की आज्ञा बख्शें और मुझे अपने चरणों में स्थान दें।