एक दलित की बर्बर हत्या के बाद से सिंघु-कुंडली बॉर्डर का किसान प्रदर्शन स्थल चर्चा में है। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर सोनीपत जिले में हत्या के बाद शव को किसान प्रदर्शनकारियों के मुख्य मंत्र के पास टाँग दिया गया था। रिपोर्टों के अनुसार कथित किसानों का यह प्रदर्शन स्थल अपराध के अड्डे में तब्दील हो चुका है। महिलाओं का इधर निकलना दूभर हो गया। स्थानीय दुकानदारों पर हमले हो चुके हैं। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि यहाँ उनका कानून चलता है।
आंदोलन स्थल वाले क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों से लगातार लड़कियाें के लापता होने की शिकायत पुलिस को मिल रही है। तकरीबन डेढ़ दर्जन लड़कियाँ गायब हैं। मगर पुलिस कार्रवाई करने से कतरा रही है। प्रदर्शनकारियों का क्षेत्र में दबदबा इस कदर है कि नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाती है, जिसके लिए प्रदर्शनकारी कहते हैं।
इसके अलावा क्षेत्र के 10 से ज्यादा दुकानदारों पर भी तलवारों और भालों से जानलेवा हमला हो चुुका है। पिछले दिनों एक वाहन पर खालिस्तानी झंडा लगाने का भी वीडियो वायरल हुआ था।
इससे पहले भी सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के धरनास्थल से इस तरह की आपराधिक वारदात की खबर सामने आ चुकी है। इसी साल अप्रैल में यहाँ आंदोलन में हिस्सा लेने आई पश्चिम बंगाल की युवती का रेप हुआ था। पीड़ित लड़की की 30 अप्रैल को मौत हो गई थी। मार्च महीने में ही धरनास्थल पर गोली चलने की वारदात हुई थी।
पुलिस के मुताबिक लखबीर का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है, ना ही किसी राजनीतिक दल से वह जुड़ा हुआ है। उसके खिलाफ गाँव में किसी ने लड़ाई-झगड़े तक करने की शिकायत नहीं की। दलित लखबीर सिंह मजदूरी कर गुजारा करता था। मृतक की बहन राज कौर का कहना है कि चीमा में आने के बाद वह निहंगों के साथ उठता-बैठता था। वह 13 अक्टूबर को मंडी जाने की बात कह कर घर से निकला था। उसे शक है कि कोई उसे पैसों का लालच देकर या बहकावे से दिल्ली साथ ले गया होगा।