पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा की दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं। पार्टी ने हाल में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन भी किया है, लेकिन नए व पुराने नेताओं के बीच सामंजस्य नहीं हो पा रहा है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस लगातार भाजपा में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, जिससे भाजपा का तनाव बढ़ा हुआ है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने हाल में पश्चिम बंगाल में दिलीप घोष की जगह युवा सुकांत मजूमदार को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। घोष को दिल्ली लाकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। इस बदलाव के बाद भी राज्य में पार्टी के नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। सूत्रों के अनुसार, दिलीप घोष का राज्य की राजनीति में काफी दखल है जिससे नए नेतृत्व को दिक्कतें हो रही हैं। हालांकि पार्टी को भरोसा है कि कुछ दिन बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
दरअसल, भाजपा को इस समय सबसे ज्यादा दिक्कत तृणमूल कांग्रेस की तरफ से आ रही हैं, जो लगातार पार्टी को तोड़ने की कोशिश में हैं। भाजपा के कई नेताओं ने तो तृणमूल का दामन थाम लिया है और कई नेता तृणमूल में जाने की फिराक में है। हाल में ही पार्टी की सांसद लॉकेट चटर्जी को लेकर भी ऐसे ही चर्चाएं रहीं। हालांकि लॉकेट चटर्जी ने साफ कर दिया कि भवानीपुर के उपचुनाव में वह इसलिए प्रचार करने नहीं जा सकी क्योंकि उत्तराखंड की सह चुनाव प्रभारी होने के नाते वहां पर व्यस्त रहीं। मंगलवार को भी लॉकेट चटर्जी ने भाजपा मुख्यालय में उत्तराखंड के नेताओं के साथ मुलाकातें व बैठकें की है। गौरतलब है कि भवानीपुर के उप चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव मैदान में है।
सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में भाजपा अभी और बदलाव कर सकती है। पश्चिम बंगाल के संगठन प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को भी नई जिम्मेदारी दी जा सकती है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने उनके खिलाफ राजनीतिक और अन्य मोर्चों पर भी काफी तैयारी कर रखी है। ऐसे में उनके पश्चिम बंगाल में जाने पर टकराव और ज्यादा बढ़ सकता है, जिससे पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियों पर भी काफी असर पड़ेगा। पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ बेवजह के विवादों में अपनी ऊर्जा नहीं गंवाना चाहती है। उसकी कोशिश है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर वह जमीनी तैयारी शुरू करें और लोगों के बीच अपनी पैठ को मजबूत करें।