कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार के मुख्य सचिव को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि बंगाल सरकार के मुख्य सचिव ने एक लोक सेवक की तरह काम करने की बजाय तृणमूल कॉन्ग्रेस के ‘नौकर/गुलाम/सेवक’ की तरह खुद को दर्शाया। कोर्ट ने यह टिप्पणी मंगलवार (सितंबर 28, 2021) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसे मुख्य सचिव एच के द्विवेदी के उस अनुरोध के ख़िलाफ़ दायर किया गया था जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से कहा था कि भवानीपुर के उपचुनाव में तेजी लाई जाए वरना संवैधानिक संकट पैदा होगा।
जनहित याचिका को सयान बनर्जी द्वारा दायर किया गया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने सुनवाई की। अदालत ने पाया कि द्विवेदी ने चुनाव आयोग (ईसी) को ‘संवैधानिक संकट’ की स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि ऐसी स्थिति हो सकती है अगर बंगाल के भवानीपुर में नहीं किए जाते। चुनाव आयोग को समझाने के लिए, मुख्य सचिव ने दावा किया कि कोलकाता में कोरोना वायरस महामारी और ‘बाढ़ की स्थिति’ दोनों नियंत्रण में हैं।
बता दें कि चुनाव आयोग ने 3 संसदीय क्षेत्रों और 31 राज्य विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव टाल दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने 30 सितंबर को भवानीपुर में चुनाव कराने के द्विवेदी के विशेष अनुरोध को मान लिया। उसी आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही उसने मुख्य सचिव एचके द्विवेदी के खिलाफ कुछ तीखी टिप्पणी की।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि अगर उपचुनाव नहीं होते तो कोई संवैधानिक संकट नहीं आता। राज्य विधानसभा में 293 सदस्य होते हैं। इनमें सत्तारूढ़ दल ने 213 में जीत हासिल की। ऐसे में एक सदस्य इतना महत्वपूर्ण नहीं है।
कोर्ट ने बंगाल के मुख्य सचिव को लेकर क्या कहा
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सुनवाई में कहा कि मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को राज्य में महामारी और बाढ़ की स्थिति के बारे में गुमराह किया ताकि चुनावी प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। कोर्ट ने जोर देकर कहा “राज्य के मुख्य सचिव द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी तथ्यों के विपरीत थी क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण राज्य प्रतिबंधों को 30 सितंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया था…।” न्यायाधीशों ने कहा कि कोरोना वायरस की स्थिति नियंत्रण में नहीं थी क्योंकि राज्य सरकार को लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
उन्होंने आगे कहा, “चुनाव आयोग को भी बाढ़ की स्थिति के बारे में गुमराह किया गया था। यह सभी को पता है कि राज्य में अत्यधिक बारिश हुई थी।” कोर्ट ने कहा कि द्विवेदी को चुनाव आयोग को लिखने का अधिकार नहीं है। फैसले में कहा गया, “… सबसे अपमानजनक बात मुख्य सचिव का आचरण है, जिन्होंने खुद को एक लोक सेवक की तुलना में सत्ता में राजनीतिक दल के नौकर के रूप में अधिक पेश किया, और कहा कि अगर भवानीपुर का चुनाव नहीं हुआ तो संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है जहाँ से प्रतिवादी संख्या 5 (ममता बनर्जी) चुनाव लड़ना चाहती हैं।”
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने द्विवेदी को लताड़ते हुए कहा, “चुनाव हारने या जीतने वाले एक व्यक्ति के साथ सरकार को किस संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ सकता है, यह नहीं बताया गया है। मुख्य सचिव को कैसे पता चला कि प्रतिवादी संख्या 5 को भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना है? वह पार्टी के प्रवक्ता या रिटर्निंग ऑफिसर नहीं थे।”
कोर्ट ने मामले में निष्कर्ष निकालते हुए कहा, “हम चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर मुख्य सचिव के आचरण के बारे में अपना कड़ा विरोध दर्ज करते हैं, जिसमें कहा गया है कि भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव नहीं होने की स्थिति में ‘संवैधानिक संकट’ होगा। वह एक लोक सेवक है, जिन्हें कानून के प्रावधानों के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है, जो भी सत्ता में हो। उन्हें यह सुनिश्चित नहीं करना है कि कोई व्यक्ति विशेष सत्ता में आए और उसकी अनुपस्थिति में ‘संवैधानिक संकट’ उत्पन्न हो।”