नई दिल्ली। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता आज से कांग्रेसी कहलाएंगे। कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। कन्हैया कुमार और विवाद, चोली-दामना का साथ रहा है। ऐसे में 2024 में केंद्र की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी को बेदखल करने का इरादा रखने वाली कांग्रेस पार्टी के हित में वे कितने काम आएंगे इसको लेकर चर्चा शुरू है।
9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में कुछ अज्ञात युवकों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे भी लगाए थे। इसी के आरोप में तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। इस घटना के बाद अचानक से कन्हैया कुमार सुर्खियों में आ गए।
कन्हैया के खिलाफ उनक ही पार्टी ने पास किया निंदा प्रस्ताव
कन्हैया कुमार पर यह भी आरोप लगा कि पटना में दिसंबर 2020 में पार्टी के कार्यालय सचिव इंदु भूषण के साथ उन्होंने बदसलूकी की थी। कहा गया कि कन्हैया कुमार इस बात को लेकर नाराज हो गए थे कि पटना में बेगूसराय जिला काउंसिल की एक बैठक बुलाई गई थी, जिसके बाद उसे अचानक रद्द कर दिया गया था। आरोप था कि कन्हैया कुमार इस बात से नाराज हो गए और कार्यालय सचिव के साथ मारपीट की थी। इस घटना के बाद हैदराबाद में सीपीआई की अहम बैठक बुलाई गई। पटना में की गई मारपीट की घटना को लेकर उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया।
कन्हैया कुमार पर पटना एम्स के जूनियर डॉक्टरों ने दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे थे। कन्हैया AISF के बिहार प्रदेश के सचिव सुशील कुमार को एम्स में देखने गए थे। सुशील एम्स के ट्रामा इमरजेंसी वार्ड में भर्ती थे। जूनियर डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि कन्हैया के साथ करीब डेढ़ दर्जन समर्थक थे। सभी ट्रामा इमरजेंसी में जाने का प्रयास किए। पहले सुरक्षा गार्ड ने उतनी संख्या में लोगों को वार्ड में जाने से रोका। इसके बाद समर्थक गार्ड से धक्का मुक्की करने लगे और अंदर चले गए। वार्ड में डयूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर भी समर्थकों को वापस जाने को कहा लेकिन नहीं गए। आरोप लगा कि कन्हैया के समर्थक जूनियर डॉक्टरों के साथ भी धक्का-मुक्की करने लगे। काफी देर तक इसे लेकर एम्स में हंगामा होता रहा। रात करीब 10 बजे जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया।
पटना में एम्स में मारपीट का मामला शांत ही हुआ था कि कन्हैया कुमार ने बेगूसराय के भगवानपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के समीप दुर्गा पूजा समिति के सदस्यों से मारपीट कर ली। कन्हैया के समर्थकों एवं स्थानीय पूजा समिति के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई। इस दौरान पूजा समिति के दो कार्यकर्ताओं के सिर फट गए। उग्र लोगों ने कन्हैया के काफिले में शामिल आधा दर्जन वाहनों के शीशे तोड़ दिए। दोनों ओर से अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
कन्हैया की मंसूरचक में सभा थी। वे वाहनों के काफिले के साथ सभा कर अपने गांव बीहट लौट रहे थे। रास्ते में भगवानपुर बाजार स्थित बाइक शोरूम के प्रथम तल पर संचालित एक निजी कोचिंग संस्थान के संचालक से मिलने के लिए कन्हैया रुक गए। उनके काफिले की सारी गाडिय़ां सड़क पर रुक गईं। इससे जाम लग गया। इसपर बगल में सजे दुर्गा पूजा पंडाल समिति के कार्यकर्ताओं ने गाडिय़ों को साइड करने को कहा। इसी पर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। देखते-देखते मारपीट शुरू हो गई।
कन्हैया कुमार का ताल्लुक बिहार के बेगूसराय जिले से है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनावी किस्तम भी आजमाई थी। हालांकि उन्हें भाजपा नेता गिरिराज सिंह के मुकाबले 4 लाख के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। बेगूसराय में भूमिहार मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा मानी जाती रही है और कन्हैया कुमार भी भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में वह खुद को साबित करने में विफल रहे। इसके बावजूद पार्टी मानती है कि बिहार में नए चेहरे की जरूरत है। छात्र नेता के तौर पर उन्हें संगठन का अनुभव है। बिहार कांग्रेस के नेता अमरिंदर सिंह कहते हैं कि कन्हैया के आने से पार्टी को फायदा होगा क्योंकि कन्हैया वही मुद्दे और लड़ाई लड़ रहे हैं जिन्हें कांग्रेस उठाती रही है।