‘हत्याओं के लिए कुख्यात हैं बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, 1983 में कॉन्ग्रेस ने बसाया था’: स्थानीय लोगों ने बताई असम हिंसा की सच्चाई

दरांग जिले में 23 सितंबर, 2021 को जब पुलिस अतिक्रमणकारियों से जमीन खाली कराने गई तो जवानों पर हमला बोल दिया गया और 11 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद वामपंथियों ने राज्य में हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। सरकार बता चुकी है कि 10,000 मुस्लिमों की भीड़ ने पुलिस को घेर कर लाठी-डंडों व ईंट-पत्थर से हमला बोल दिया था, तभी पुलिस ने कार्रवाई की।

लेकिन, विपक्ष और मीडिया का गिरोह विशेष ये दुष्प्रचारित करने में जुटा है कि भाजपा सरकार मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा कर रही है। इसी बीच ‘न्यू इंडिया जंक्शन’ नाम के एक यूट्यूब चैनल ने स्थानीय नागरिकों से बात कर के सच्चाई सामने रखी है और असम में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर फैलाए जा रहे झूठ को भी बेनकाब किया है। इस ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ से सच्चाई का पता चलता है।

दरांग जिले के एक स्थानीय नागरिक लाक्षेदार नाथ ने बताया कि 23 सितंबर, 2021 को जो भी हुआ वो एक असामान्य घटना नहीं थी, क्योंकि उस क्षेत्र में रहने वाले लोग हत्याओं और मारपीट में अभ्यस्त हैं। नैरेटिव ये फैलाया जा रहा है कि असम से मुस्लिमों को भगाने के लिए राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, ताकि प्रशासन को बदनाम किया जा सके।

उन्होंने बताया कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के समक्ष अवैध अतिक्रमण का मामला उठाने वाला मुस्लिम व्यक्ति ही था। इसके बाद ही उच्च-न्यायालय ने राज्य सरकार को कार्रवाई का आदेश दिया। इसी तरह रबीन्द्र कुमार नाथ नाम के स्थानीय नागरिक ने बताया कि 1975 से ही यहाँ बांग्लादेशी घुसपैठियों का अतिक्रमण चालू है, जिन्होंने 77,000 एकड़ ही नहीं बल्कि 5000 वर्ष पुराने शिव मंदिर की जमीन भी हथिया ली।

स्थानीय नागरिकों ने बताई असम में हुई हिंसा की सच्चाई
उन्होंने कहा कि घुसपैठियों की इस तरह की हरकत से सबसे ज्यादा परेशानी स्थानीय नागरिकों को हुई है, जिनमें से कई बर्बाद हो गए। उन्होंने न सिर्फ असम के आदिवासियों की संस्कृति को ख़त्म करने की कोशिश की, बल्कि आर्थिक रूप से भी उन्हें नुकसान पहुँचाया। दरांग के सिपाझार में गरुखुटी के निकट स्थित शिव मंदिर के सेवादार प्रसेनजीत ने बताया कि वर्षों से हिन्दू समुदाय के लोग मंदिर के आसपास रहते आए हैं।

उन्होंने कहा कि 1983 चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस पार्टी ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बुला यहाँ बसाया। धौलपुर शिव मंदिर के सचिव ने बताया कि 1980 में यहाँ 36 परिवारों को बसाया गया था। धर्मकान्त नाथ ने कहा कि उसी समय बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों ने मंदिर की 500 बीघा जमीन हथिया ली थी और बाद में इसकी अधिकतर जमीनें उनके कब्जे में चली गई। स्थानीय नागरिकों को प्रताड़ित किया गया।

बता दें कि कई ऐसे वीडियोज भी सामने आए हैं, जहाँ कॉन्ग्रेस नेताओं को धौलपुर के अतिक्रमणकारियों के यहाँ दौरा करते हुए देखा जा सकता है। आखिर जहाँ जमीन खाली कराई जानी थी, वहाँ कॉन्ग्रेस नेताओ ने दौरा क्यों किया? क्या उन्होंने वहाँ जाकर उनसे कहा होगा कि वो सरकारी कार्य में सहयोग करें? न कॉन्ग्रेस का चरित्र ऐसा है और न ही सबूत ऐसा कहते हैं। उन्होंने वहाँ जाकर लोगों को भड़काया और विरोध प्रदर्शन करने लगे।