केरल में चल रहे ‘लव जिहाद’ और ‘नारकोटिक जिहाद’ की टिप्पणियों के बाद, थमारसेरी सूबा के कैटेसिस विभाग ने आरोप लगाया है कि 100 से अधिक ईसाई लड़कियों का फर्जी प्रेम विवाह के नाम पर यौन शोषण किया गया।
थमारसेरी सूबा के धार्मिक शिक्षा निदेशक फादर जॉन पल्लीक्कवयालिल ने एक प्रेस रिलीज में दावा किया, “हमें ईसाई महिलाओं और लड़कियों को टारगेट करने के यौन आतंकवाद के बारे में कई शिकायतें मिली थीं। जिसके बाद हमने पाया कि 100 से अधिक ईसाई लड़कियों का फर्जी प्रेम विवाह के जरिए यौन शोषण और उत्पीड़न किया गया। यह अलग-अलग घटनाओं के बजाय निश्चित उद्देश्य के साथ एक संगठित और योजनाबद्ध प्रयास था।”
दिलचस्प बात यह है कि विवाद पैदा होने के बाद विभाग द्वारा जारी हैंडबुक पर स्पष्टीकरण देने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस पुस्तिका में मुस्लिम विरोधी सामग्री थी, जिसमें मुस्लिम मौलवियों द्वारा लड़कियों के धर्मांतरण की बात कही गई है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पुस्तिका का उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले सभी प्रचारकों से बचना है। कई मुस्लिम संगठनों ने इस हैंडबुक का विरोध किया और गुरुवार (सितंबर 16, 2021) को बिशप के घर तक मार्च निकाला था।
मुस्लिम संस्थाओं ने कहा कि किसी भी जाँच एजेंसी को ‘नारकोटिक्स जिहाद’ जैसा कुछ नहीं मिला है। मुस्लिमों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन्हें बैरिकेड लगा कर रोका, जिसके बाद उनमें झड़प भी हुई। केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) ने कहा है कि बिशप का बयान किसी समुदाय को निशाना बना कर नहीं दिया गया था, इसकी गंभीरता पर बहस होनी चाहिए। संस्था ने नारकोटिक्स माफिया के खिलाफ जाँच की भी माँग की।
इस बीच राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी ने इस मुद्दे पर पाला बिशप के साथ एक घंटे तक बैठक की। बैठक के बाद, सुरेश गोपी ने कहा कि बिशप द्वारा उठाई गई चिंताएँ बेहद गंभीर हैं और बिशप ने विशेष रूप से किसी धर्म के बारे में बात नहीं की है। केवल कुछ आतंकी संगठनों की ओर इशारा कर रहे थे।
इस बयान पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि समाज में धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करने वाले बयान नहीं दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “पाला बिशप एक काफी प्रभावशाली व धार्मिक विद्वान हैं। हमलोग पहली बार ‘नारकोटिक्स जिहाद’ नाम का कोई शब्द सुन रहे हैं। नारकोटिक्स की समस्या किसी एक खास धर्म को ही निशाना नहीं बनाती। ये पूरे समाज पर अपना दुष्प्रभाव डालती है। इसे लेकर हम काफी चिंतित हैं।”