भारत ने बुधवार (15 सितंबर 2021) को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कश्मीर का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान के साथ-साथ इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) पर जमकर निशाना साधा है। मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र में भारत ने कहा, ”पाकिस्तान को विश्व स्तर पर एक ऐसे देश के रूप में मान्यता दी गई है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों का खुले तौर पर समर्थन करता है। इसके साथ ही वह उन्हें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और सशस्त्र आतंकवादियों को देश की नीति के रूप में मान्यता देता है।” यह प्रतिक्रिया भारत की ओर से पवन बधे, जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव ने दी है।
We once again regret & reject reference made by the OIC to the Union Territory of Jammu & Kashmir which is an integral part of India. The OIC has no locus standi to comment on internal affairs of India: India at the 48th Session of the Human Rights Council
— ANI (@ANI) September 15, 2021
कश्मीर पर पाकिस्तान और ओआईसी द्वारा की गई टिप्पणियों का जवाब देते हुए बधे ने कहा कि उसे पाकिस्तान जैसे असफल देश से सीखने की आवश्यकता नहीं है, जो आतंकवाद का केंद्र है और मानवाधिकारों का सबसे अधिक दुरुपयोग करता है। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ अपने झूठे और द्वेषपूर्ण प्रचार को प्रचारित करने के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करना पाकिस्तान की आदत बन गई है।
बधे ने कहा, “परिषद पाकिस्तान की सरकार की ओर से किए जा रहे गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन से उसका ध्यान हटाने के प्रयासों से अवगत है, जिसमें उसके कब्जे वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में क्या हो रहा है इससे सभी भलि-भाँति परिचित हैं। दुनिया के सबसे बड़े, मजबूत और जीवंत लोकतंत्र भारत को पाकिस्तान जैसे नाकाम देश सीखने की जरूरत नहीं है, जो आतंकवाद का केंद्र है।”
भारतीय राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान सिख, हिंदू, ईसाई और अहमदिया समेत अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम रहा है। उसने हमेशा UNHRC के मंच का इस्तेमाल झूठ और दुर्भावनापूर्ण एजेंडे को फैलाने के लिए किया है।
बधे ने अपने बयान में आगे कहा, “पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदायों की हजारों महिलाओं और लड़कियों का अपहरण, जबरन निकाह और धर्म परिवर्तन हुआ है।” वह अपने यहाँ अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करता है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ, जिसमें उनके पूजा स्थलों, उनकी सांस्कृतिक विरासत और साथ ही उनकी निजी संपत्ति पर हमले शामिल हैं। पाकिस्तान में ऐसा करने वालों को दंडित भी नहीं किया गया है।
बता दें कि अगस्त में पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने भगवान गणेश के मंदिर में तोड़फोड़ कर उसे आग के हवाले कर दिया था। वहीं, कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भी हिंदूओं के साथ बर्बरता की गई थी। कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने हिंदूओं पर हमला किया, उन्हें पूजा करने से रोका और भगवान कृष्ण की मूर्तियाँ तोड़ दी थी।