तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने अपनी मौत की अफवाहों का खंडन करने के लिए सोमवार (सितंबर 13, 2021) को एक ऑडियो टेप जारी किया।
Mullah Abdul Ghani Baradar, deputy prime minister of the Taliban govt, in an audio message confirmed he was alive and said he was not injured. The message, tweeted by Taliban spox Mohammad Naeem, follows reports that Baradar was injured or killed in clashes among the Taliban. pic.twitter.com/LqwmjJkVNi
— TOLOnews (@TOLOnews) September 13, 2021
टोलो न्यूज के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने एक ऑडियो संदेश में पुष्टि की कि वह जीवित हैं और कहा कि वह घायल भी नहीं हुआ था। तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने इस मैसेज को ट्वीट किया। बता दें कि तालिबान के बीच झड़पों में बरादार के घायल होने या मारे जाने की खबरें सामने आई थीं।
— Dr.M.Naeem (@IeaOffice) September 13, 2021
बरादर ने तालिबान द्वारा पोस्ट किए गए एक ऑडियो संदेश में मौत की अफवाहों के लिए ‘फेक प्रोपेगेंडा’ को जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि मीडिया में ऐसी खबरें और अफवाहें थीं कि वह प्रतिद्वंद्वी तालिबान गुटों के बीच गोलीबारी में घायल होने के बाद दम तोड़ दिया था।
Strange. Taliban Spokesperson releases audio of Mullah Baradar to prove that he is alive. Some say Baradar is in Kandahar at present. Not seen in public since September 4. Rumours of Baradar being beaten up by Sirajuddin/Anas Haqqani in a fist fight on a power sharing dispute. https://t.co/MKGMnRVtQA
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 13, 2021
अब सामने आए ऑडियो क्लिप में बरादर ने कहा, “मेरे निधन की खबर मीडिया में आई थी। पिछली कुछ रातों से मैं यात्राओं पर गया हूँ। इस समय मैं जहाँ भी हूँ, हम सब ठीक हैं, मेरे सभी भाइयों और दोस्तों। मीडिया हमेशा फर्जी प्रोपेगेंडा प्रकाशित करता है। इसलिए, उन सभी झूठों को बहादुरी से खारिज करें और मैं आपके लिए 100 प्रतिशत पुष्टि करता हूँ कि कोई समस्या नहीं है।”
कौन है मुल्ला अब्दुल गनी बरादरी
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर 1994 में तालिबान के चार सह-संस्थापकों में से एक है। इंटरपोल के अनुसार, मुल्ला बरादर का जन्म 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में देहरादून जिले के वीतमक गाँव में हुआ था। वह अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की तरह पोपलजई जनजाति का दुर्रानी पश्तून है।
तालिबान की स्थापना के बाद, जल्द ही वह एक सैन्य रणनीतिकार और कमांडर के पद तक पहुँचा और एक प्रमुख नेता बन गया। जब ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ के दौरान तालिबान सरकार को अमेरिकी सेना द्वारा गिरा दिया गया था, मुल्ला बरादर उप रक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत था।
2010 में, उसे दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में एक संयुक्त यूएस-पाकिस्तानी ऑपरेशन में अमेरिकी बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया था। 21 सितंबर, 2018 को, पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत के लिए एक शर्त के रूप में मुल्ला बरादर को अपनी हिरासत से रिहा कर दिया। वह तालिबान के उन गिने-चुने लोगों में से एक है, जिसने अमेरिका और अफगान सरकार के साथ बातचीत का समर्थन किया।