एंटीलिया बम केस में और कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या मामले में पूर्व पुलिस कमिशनर परमबीर सिंह की भूमिका संदिग्ध है। ऐसे में NIA को मामले की जाँच के दौरान एक नई जानकारी मिली। बताया जा रहा है कि पूर्व कमिशनर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) ने अपने फोन के जरिए संपर्क करने के लिए कथित तौर पर FaceTime ID का प्रयोग किया था। इसमें उन्होंने अपना नाम ‘कुरकुरे बालाजी’ रखा हुआ था।
NIA को अपनी पड़ताल में इस फेसटाइम आईडी का मालूम चला जिसका इस्तेमाल मनसुख हिरेन के मर्डर मामले में हुआ था। इसका जिक्र जाँच एजेंसी ने अपनी 1000 पन्नों की चार्जशीट में भी किया है। इसमें ऐप्पल कंपनी से आया रिस्पांस भी शामिल है। मिड डे की रिपोर्ट बताती है कि एक खुफिया अधिकारी जोसेफ डी सिल्वा ने अप्रैल के पहले हफ्ते में एक व्यक्ति को कुछ फोन के साथ बुलाया और कहा कि सिंह अपना हैंडसेट बदलना चाहते हैं। सिंह ने उस समय व्यक्ति से Iphone लिया। इसके बाद उनके जूनियर ने इसमें आईडी बनाई।
अधिकारी के मुताबिक, डीजी होमगार्ड के ऑफिस में नेटवर्क की समस्या थी इसलिए उसने बाहर आकर फेसटाइम आईडी और पासवर्ड बनाया था। आईडी बनाने वाले अधिकारी के मुताबिक, फेसटाइम आईडी का ये नाम इसलिए रखा गया क्योंकि उस समय वहाँ कुरकुरे बालाजी का पैकेट रखा हुआ था। पासवर्ड के बारे में उन्होंने कहा कि उनको वो नहीं याद।
NIA ने इसी ईमेल आईडी की जानकारी के लिए जुलाई में ऐप्पल कंपनी को एक लेटर लिखा था। 20 जुलाई को इसका जवाब देते हुए ऐप्पल कंपनी ने ज़िप फ़ाइल में तमाम जानकरी NIA को दी थी। इस जानकरी के मुताबिक जिस ईमेल आईडी से बात की जा रही थी उसका पहला नाम कुरकुरे और आखिर नाम बालाजी है। इस जवाब के बाद यह बात पक्की हो गई थी कि उन्हें मिली जानकारी से ये नाम मैच हो रहा था। ऐप्पल कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस आईडी से कई बार फेस टाइम पर बात की गई थी।
बता दें कि एनआईए ने 8 जुलाई को ऐप्पल से अनुरोध किया था कि वह जाँच में तेजी लाने के लिए अकॉउंट की डिटेल्स को विवरण साझा करें- जिसमें क्लाउड आईडी का आईपी विवरण, पंजीकरण विवरण, प्रोडक्ट खरीद विवरण के साथ-साथ स्टोर की जानकारी जहाँ से हैंडसेट खरीदा गया था, गूगल अकॉउंट का नाम और पंजीकरण की तारीख शामिल हो।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले NIA द्वारा दायर 10,000 पन्नों की चार्जशीट से पता चला था कि पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह ने इस मामले में आतंकी समूह जैश-उल-हिंद की संलिप्तता का हवाला देकर जाँच को गुमराह किया था। एक साइबर एक्सपर्ट के बयान के मुताबिक सिंह ने रिपोर्ट में आतंकी संगठन की भूमिका का जिक्र करने के लिए 5 लाख रुपए दिए थे।
साइबर एक्सपर्ट ने 5 अगस्त को एनआईए के समक्ष परमबीर सिंह के कहने पर रिपोर्ट में बदलाव की बात कबूली थी। उसने बताया था, “सीपी मुंबई के आग्रह पर मैंने सीपी मुंबई के कार्यालय में बैठकर अपने लैपटॉप पर एक रिपोर्ट तैयार की, जो एक पैराग्राफ में थी और मैंने इसे सीपी मुंबई को दिखाया। रिपोर्ट पढ़ने के बाद परमबीर सिंह सर ने मुझसे एंटीलिया मामले में जिम्मेदारी लेते हुए टेलीग्राम चैनल पर ‘जैश-उल-हिंद’ के पोस्टर डालने के लिए कहा।”