मुजफ्फरपुर। बिहार का मुजफ्फरपुर अब सेक्स रैकेट और पोर्न वीडियो कांड के कारण चर्चा में आया है। वहाँ के अहियापुर थाना क्षेत्र के सर सैयद कॉलोनी में छापेमारी के दौरान एक किराए के मकान पर से पुलिस ने एक लड़की, शराब माफिया और नाबालिग को पकड़ा था। अब इन्हीं लोगों ने पुलिस को सूचना दी है कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड चंपारण का चकिया निवासी दिलीप है जो अपनी पत्नी के साथ मिल कर धंधा चलाता है। दोनों मिल कर ग्राहकों की अश्लील वीडियो बनाते है और बाद में उन्हें बेच कर पैसा कमाते हैं।
गिरोह में आधा दर्जन लड़कियाँ जुड़ी हुई हैं। इनके एक ग्राहक से दोनों पति-पत्नी 2000 रुपए तक लेते हैं, लेकिन लड़कियों को 500 रुपए ही दिए जाते हैं। इसके अलावा लड़कियों को प्रेगनेंट न होने की दवाई दी जाती है और ग्राहकों को शक्ति वर्धक दवा ख़िलाई जाती है। पुलिस का इस मामले में कहना है कि स्थानीय लोगों ने कोई शिकायत नहीं दी है। पुलिस बयानों पर ही एफआईआर करने में लगी है। पकड़ी गई लड़की का क्या होगा इसका निर्णय अधिकारियों से बातचीत के बाद किया जाएगा।
पकड़ी गई लड़की ने बताया कि वो पटना निवासी है और मॉल में काम करती थी। एक दोस्त ने उसका परिचय दिलीप से कराया और ज्यादा पैसों के लालच में इस काम में आ गई। तीन माह से वह दिलीप से जुड़ी है। कथिततौर पर ये दिलीप पूर्वी चंपारण में धंधा चलाता था। पुलिस के शक में आया तो ये काम मुजफ्फरपुर में शुरू कर दिया। यहाँ रात होते ही उसके घर में बियर खुलतीं, गाने बजते, लड़कियाँ नाचतीं और फिर ग्राहक हमबिस्तर होते।
इस मामले में गिरफ्तार हुआ दीपक नामक शराब माफिया बताता है कि दिलीप के ऊपर लाखों का कर्जा है। इसी को चुकता करने के लिए दोनों पति-पत्नी ये सेक्स रैकेट चलाते हैं। उसके भी 32 हजार उन पर उधार हैं। उस रात वह वही लेने गया था, लेकिन पकड़ लिया गया। इस काम में दिलीप की पत्नी किरण भी लगी है। हालाँकि पुलिस ने इस शराब माफिया के बारे में कहा है कि वो कहानियाँ बना रहा है। इस पूरे कांड में दीपक पर लड़कियों को सप्लाई करने का आरोप है। वहीं किरण पर ग्राहकों को फँसाने का इल्जाम लगा है। उसकी कई अश्लील तस्वीरें भी पुलिस को पकड़े गए लोगों के फोन से बरामद हुई है।
मुजफ्फरपुर में दिलीप को घर देने वाली रिटायर्ड शिक्षिका डॉ आबेदा शाहीन ने बताया कि दिलीप 3 जुलाई को कमरा लेने आया था। पूछताछ में बताया कि वो साबुन फैक्ट्री चलाता है। कमरे में उसकी पत्नी और बच्चों को रहना है। इसके बाद उसका पहचान पत्र लेकर उसे कमरा दे दिया। आबेदा कहती हैं कि कई बार उन्होंने दिलीप के कमरे पर लड़कियों को आते-जाते देखा लेकिन कुछ इसलिए नहीं बोल पाईं क्योंकि उन्हें लगा कि फैमिली है तो लोग मिलने आते होंगे।
बता दें कि इससे पहले बिहार का मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के कारण बदनाम हुआ था। मामले में 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने सीबीआई जाँच की सिफारिश की थी। जिसके बाद एफआईआर हुई।। सीबीआई ने इस मामले में 21 को आरोपित बनाया था। इसमें 10 महिलाएँ थी, जो कि बालिका गृह की लड़कियों के साथ हो रही दरिंदगी को न सिर्फ छिपाती रहीं, बल्कि बच्चियों को चुप रहने के लिए उनको यातनाएँ भी देती थीं। इस केस में बालिका गृह में तैनात रसोइयाँ से लेकर गेटकीपर तक पर लड़कियों के साथ दुष्कर्म के आरोप लगे थे।