नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर कॉलेज बनेगा. इस प्रस्ताव को दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के नाम पर भी कॉलेज-सेंटर्स के नाम रखें जाएंगे.
इन नेताओं के नाम पर भी बनेंगे कॉलेज और सेंटर्स
काउंसिल में जिन नामों पर मंजूरी मिली है, उनमें देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश और प्रसिद्ध दलित नेता ज्योतिबा बाई फुले के नाम भी शामिल हैं.
वाइस चांसलर ने आजतक से की पुष्टि
दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर पी सी जोशी ने आजतक से इसकी पुष्टि की है. इस फैसले का बचाव करते हुए पीसी जोशी ने कहा, जिन नामों को मंजूरी मिली है, उन्हें समाज में उनके योगदान के आधार पर प्रस्तावित किया गया था. उन्होंने बताया कि तय प्रक्रिया का पालन करते हुए काउंसिल ने इन्हें मंजूरी दी है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली में दो नए कॉलेज खुल रहे हैं. पहला कॉलेज दक्षिणी दिल्ली के भाटी गांव में खुलेगा. वहीं दूसरा कॉलेज बाहरी दिल्ली के नजफगढ़ गांव के पास रौशनपुरा में खुलेगा. इन दो कॉलेजों के अलावा चार सुविधा केंद्र भी खोले जाएंगे. चार नए केंद्रों में से दो केंद्र दोनों नए कॉलेजों के कैंपस में खुलेंगे. जबकि अन्य दो केंद्र उत्तरी दिल्ली की शाहबाद डेयरी और पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में खुलेंगे. इन कॉलेजों और केंद्रों के अलावा, पूर्वी दिल्ली में एक नए लॉ कैंपस की योजना बनाई जा रही है.
सावरकर स्वतंत्रता सेनानी थे- प्रोफेसर पीसी जोशी
आजतक से बातचीत में प्रोफेसर पी सी जोशी ने काउंसिल के फैसले को सही ठहराया. विनायक दामोदर सावरकर के नाम को लेकर प्रोफेसर पी सी जोशी ने कहा, वे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे और अगर आप अंडमान और निकोबार जाएंगे, तो सेलुलर जेल आज भी वहीं है, जहां उन्हें सालों तक रखा गया. उन्होंने कहा, मैं भी वहां गया था और मैंने स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के बारे में महसूस किया.
वहीं, भाजपा के अन्य नेताओं के नाम को लेकर उन्होंने कहा, इन सभी ने देश के लिए योगदान दिया. उन्होंने कहा, इस लिस्ट में सरदार वल्लभ भाई पटेल, दिल्ली के पहले सीएम चौधरी ब्रह्म प्रकाश और प्रसिद्ध दलित नेता ज्योतिबा बाई फुले जैसे नाम भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद इसे अंतिम फैसले के लिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सामने रखा जाएगा.
एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य ने जताया विरोध
वहीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी में कई लोग वीडी सावरकर जैसे नामों को मानने को तैयार नहीं हैं. आज तक से बातचीत में डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य राजेश झा ने कहा, दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एकेडमिक काउंसिल को अंधेरे में रखा. जब काउंसिल सभी अहम 4 साल के स्नातक कार्यक्रम पर चर्चा कर रही थी, तब सिर्फ नामकरण के प्रस्ताव को लाया जा रहा था, इसे बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया. लेकिन हम एग्जीक्यूटिव काउंसिल में इसका विरोध करेंगे.