लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का शनिवार देर रात निधन हो गया. उन्होंने लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली. पिछले डेढ़ महीने से बीमार चल रहे कल्याण सिंह की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई थी. एक पूरी डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही थी, सीएम योगी भी उनकी सेहत का हालचाल ले रहे थे, लेकिन शनिवार को उन्होंने दम तोड़ दिया और वे ये दुनिया छोड़ हमेशा के लिए चले गए.
शुक्रवार को ही सीएम योगी आदित्यनाथ, कल्याण सिंह की तबीयत का जायजा लेने एसजीपीजीआई गए थे. तब वहां पर मौजूद डॉक्टरों की टीम ने बताया था कि राजस्थान के पूर्व राज्यपाल की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई थी और मेडिकल एक्सपर्ट, उनके स्वास्थ्य की निगरानी लगातार रख रहे थे. लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया था और भांति हाई प्रेशर ऑक्सीजन भी देनी पड़ रही थी. लेकिन शनिवार देर रात स्थिति ज्यादा बिगड़ गई और डॉक्टरों की टीम भी कल्याण सिंह को नहीं बचा पाई.
बता दें, विगत 4 जुलाई को कल्याण सिंह को एसजीपीजीआई लखनऊ में भर्ती किया गया था. जिसके बाद से लगातार भाजपा के नेताओं द्वारा पीजीआई जाकर उनके स्वास्थ्य का हाल-चाल लिया जाने लगा. पिछले महीने एक वक्त ऐसा भी आया था तब कल्याण सिंह की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा था. वे लोगों से बात भी कर पा रहे थे. लेकिन फिर दोबारा उनकी तबीयत बिगड़ी और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उस तकलीफ से कल्याण सिंह अंत तक उबर नहीं पाए और उन्होंने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
कल्याण सिंह का जाना भारतीय राजनीति के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती. कहने को कल्याण सिंह के राजनीतिक जीवन में कई विरोधी रहे, कई लोगों को उनकी विचारधार पसंद नहीं आती थी, लेकिन फिर भी उन्हें एक दिग्गज नेता का तमगा दिया गया था. राम मंदिर आंदोलन में तो उनकी ऐसी सक्रियता रही कि उन्हें अपनी सीएम कुर्सी तक कुर्बान करनी पड़ गई थी. ऐसे में इतिहास भी कल्याण सिंह के योगदानों को हमेशा याद रखेगा. कोई उनका आलोचक होगा तो कोई उन्हें मसीहा बताएगा. लेकिन याद सभी करेंगे क्योंकि भारतीय राजनीति का वे महत्वपूर्ण अंग रहे.