देहरादून। पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के प्रयासों से आखिरकार 20 वर्ष बाद टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों को न्याय मिलना संभव हो पाया है। टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिए बीते 22 जनवरी को कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने टिहरी के जनप्रतिनियों और राज्य सरकार के अधिकारियों को साथ लेकर दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह के साथ बैठक की थी।
जिसमें महाराज के साथ टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, विधायक धन सिंह नेगी, घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह, प्रताप नगर विधायक विजय सिंह पवार सहित विभागीय अधिकारी भी शामिल थे। बैठक में तय किया गया था कि टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास संबंधी समस्याओं का समाधान न्यायालय की परिधि से बाहर किया जाएगा। मंत्री सतपाल महाराज की देखरेख में टिहरी बांध विस्थापित 415 परिवारों को न्याय दिलाने के लिए जनवरी से अब तक टीएचडीसी अधिकारियों, सचिव सिंचाई उत्तराखंड और जिलाधिकारी टिहरी के बीच कई बैठकें हुई। परिणाम यह रहा कि टीएचडीसी ने उत्तराखंड सरकार को एक अंडरटेकिंग दी है। जिसमें कहा गया है कि वह “संपार्श्विक क्षति नीति 2013” के तहत गठित तकनीकी समिति की संरचना के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा संशोधित आदेश जारी होने के बाद उच्च न्यायालय उत्तराखंड में दायर अपनी रिट याचिका को वापस ले लेगा।
साथ ही टिहरी बांध परियोजना प्रभावित 415 परिवारों के पुनर्वास को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से जो मुआवजा राशि तय की गई है वह प्रभावित क्षेत्र के तत्समय बाजारी दरों, सोलेशशियम, एक्सग्रेशिया, ब्याज और विकास लागत को जोड़कर प्रति परिवार 74.4 लाख रुपये आंकी गई है। टीएचडीसी और राज्य सरकार दोनों की सहमति से तय हुआ है कि बांध प्रभावित 415 परिवारों के पुनर्वास के लिए 74.4 लाख का मुआवजा प्रति परिवार के अनुसार दिया जाएगा।