लखनऊ। उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा 20 जून 21 को अवैध धर्मांतरण का गिरोह संचालित करने वाले सरगना सहित 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर मु.अ.सं.- 09/2021 अन्तर्गत धारा – 420,120B,153A,153B,295A,511 भादवि व 3/5 उ0प्र0 विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 थाना-एटीएस उ.प्र., लखनऊ दर्ज किया गया था। इस अभियोग में यूपी एटीएस द्वारा अब तक कुल 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जा चुका है।
उमर गौतम, जहांगीर आलम, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल्ल मन्नान, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, इरफान शेख तथा सलाहुद्दीन सहित कुल 06 व्यक्तियों के विरुद्ध पुष्ट साक्ष्यों के आधार पर धारा- 417/120बी/153ए/153बी/295ए/298 भादवि व 3/5/8 उ.प्र. विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 के अंतर्गत माननीय न्यायालय विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम) में समयान्तर्गत (18.08.21) आरोप पत्र प्रेषित किया गया है।
विवेचना में इन अभियुक्तों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर यह तथ्य प्रमाणित हुए हैं कि इनके द्वारा वृहद आपराधिक षड्यंत्र के अंतर्गत देशव्यापी अवैध धर्मान्तरण के गिरोह का संचालन किया जा रहा है जिसके तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़े हुए हैं। इस धर्मान्तरण के गिरोह द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, महिलाओं व दिव्यांगजनों विशेषकर मूक-बधिर लोगों को बहला-फुसलाकर, अपनी मूल इच्छा के विरुद्ध, विद्वेषपूर्ण ढंग से धर्मान्तरण कराया जा रहा है।
धर्मांतरण के इस गिरोह द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, दिव्यान्गजनों विशेषकर मूक बधिर लोगों को बहला फुसलाकर, भयभीत कर, बल पूर्वक तथा नाजायज दबाव आदि डालकर उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है। इस प्रकार धर्मान्तरित व्यक्ति को कट्टर विचार धारा से जोड़कर उसे श्रृंखलाबद्ध तरीके से उसके मूल धर्म के अन्य लोगों, मित्रों, रिश्तेदारों के धर्मान्तरण की कार्यवाही की जिम्मेदारी दी जाती है।
धर्मान्तरित व्यक्ति किसी भी दशा में मूल धर्म में वापस न जाने पाए इस हेतु समय-समय पर कार्यशालाएं एवं अवैध धर्मान्तरण कराए जाने हेतु नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। अभियुक्तों की इस अवैध धर्मान्तरण की कार्यवाही से विभिन्न धर्मों के बीच आपसी वैमनस्य एवं कटुता बढ़ी है। रेडिकलाइज्ड व धर्मान्तरित व्यक्तियों को देश विरोधी अतिवादी विचारधारा से भी जोड़े जाने के भी प्रमाण मिले हैं।
जांच के दैरान संकलित साक्ष्य से यह तथ्य प्रमाणित है कि उमर गौतम, काजी जहाँगीर द्वारा अपने गिरोह के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सदस्यों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाकर भारत में सउद्देश्य जनसंख्या संतुलन को बदलने हेतु काफी संख्या में लोगों को विभिन्न प्रकार के लालच देकर उनके मूल धर्म के प्रति भ्रम व घृणा पैदा कर, भय व आतंकित कर, मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर लोगो का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है ।
अभियुक्त गणों द्वारा धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को उसके धर्म के विषय में भ्रामक तथ्य अवगत कराए जाते हैं तथा धर्म-परिवर्तन की प्रक्रिया में उनके मूल धर्म के प्रति विद्वेष पैदाकर धार्मिक भाई चारे को बिगाड़ा जाता है, जिससे राष्ट्र की एकता व अखंडता को बढ़ाने वाली बंधुता पर भी गलत असर पड़ा है। इस आपराधिक कृत्य में धर्म विशेष के लोगों को दूसरी दुनिया (मृत्यु के बाद की दुनिया) के जीवन में जहन्नुम की आग जैसी अवधारणाओं का हवाला देते हुए भयभीत भी किया गया व अनुचित दबाव डालकर अवैध धर्म-परिवर्तन किया गया।
अपराध कारित करने की इस प्रक्रिया में अभियुक्त द्वारा विभिन्न धर्मों के धार्मिक विश्वासों को आहत करने का काम किया गया है। इस अवैध गतिविधि को संचालित करने के लिए इस्लामिक दावा सेंटर, गाज़ियाबाद (मसूरी) के धार्मिक स्थल व नोएडा डेफ सोसाइटी को औपचारिक केंद्र बनाकर सम्पूर्ण भारत में इसका जाल बिछाया गया। उक्त अवैध धर्म परिवर्तन हेतु आपराधिक षड्यंत्र के तहत विदेशों में बैठे इसके सहयोगियों द्वारा भारी मात्रा में अवैधानिक ढंग से हवाला के माध्यम से उमर गौतम को दावा (इस्लाम स्वीकारने की दावत) से सम्बन्धित धर्म परिवर्तन की कार्यवाही हेतु पैसे भेजकर सहायता की जा रही थी। उमर गौतम द्वारा उक्त पैसों को अवैध ढंग से धर्म परिवर्तन हेतु अपने गिरोह के सदस्यो को भेजे जाते थे तथा इन पैसों की सहायता से आपराधिक षडयंत्र के तहत लोगों के अवैधानिक धर्म परिवर्तन कराये जाने की कार्यवाही संचालित की जाती है। IDC धर्मान्तरित वह संस्थान है जहाँ पर उपरोक्त प्रकार से धर्मान्तरण के शिकार लोगों का अपने अवैध नेटवर्क का प्रयोग करके झूठी सूचनाओं के आधार पर धर्मान्तरण संबंधी प्रपत्र भी तैयार कराए जाते थे।
इन सभी अभियुक्तों के विरुद्ध एक वृहद आपराधिक षड्यंत्र के अंतर्गत एक ऑर्गनिक मैकेनिस्म के तहत वृहद धर्मान्तरण की श्रृंखलाबद्ध कार्यवाही की जा रही है जिसका उद्देश्य भारत की धार्मिक जनसंख्या संतुलन को पलटकर एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र के नागरिकों के आपसी सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़कर लोक प्रशांति बाधित करने का काम किया जा रहा है, के तथ्य भी प्रमाणित हुए हैं। इस प्रकरण के वृहद आयामों तथा इस हेतु साक्ष्य संकलन की आवश्यकता को देखते हुए इस गिरोह के अन्य अभियुक्तों, प्रसाद कावरे उर्फ़ एडम उर्फ़ आदम, अर्सलान उर्फ़ भूप्रिय विंदो, कौसर आलम तथा डॉ. फराज एवं अन्य संदिग्धों व शेष महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर खण्ड विवेचना प्रचलित है।