प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day)’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के बँटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने याद किया कि किस तरह नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गँवानी पड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशा जताई कि ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day)’ का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएँ भी मजबूत होंगी। बता दें कि 14 अगस्त ही वो दिन है, जिस दिन भारत के बँटवारे पर मुहर लगी थी और बड़ी मात्रा में खूनखराबा हुआ था।
इसी दिन पाकिस्तान अपना आज़ादी दिवस भी मनाता है। 14 अगस्त, 1947 के बाद दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा माइग्रेशन देखने को मिला था, जब लाखों लोगों को अपनी घर-संपत्ति छोड़ कर भागना पड़ा था। जबरदस्त दंगे हुए थे। खासकर पंजाब और बंगाल में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला था, क्योंकि इन दोनों राज्यों का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था। इस पूरे प्रकरण में 1.5 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा।
May the #PartitionHorrorsRemembranceDay keep reminding us of the need to remove the poison of social divisions, disharmony and further strengthen the spirit of oneness, social harmony and human empowerment.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 14, 2021
भारत-पाकिस्तान विभाजन और इसके बाद हुए दंगों में 20 लाख से भी अधिक लोग मारे गए थे। महिलाओं का बलात्कार हुआ था, बच्चों तक को नहीं बख्शा गया था। किसी सिख महिला ने अपनी इज्जत बचाने के लिए गुरुद्वारे में ही आत्महत्या कर ली थी तो कहीं शरणार्थियों से भरी पूरी ट्रेन में ही नरसंहार हुआ था। जिस देश में राजनेता स्वतंत्रता का जश्न मना रहे थे, वहीं दूसरी तरफ अराजकता का माहौल बना हुआ था।
विभाजन से पहले ही भारत में नरसंहार शुरू हो गया था। महात्मा गाँधी ने ‘खिलाफत आंदोलन’ का समर्थन किया था। मालाबार में 28 अप्रैल, 1920 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद से ही हिन्दुओं का नरसंहार शुरू हो गया था। 1921-22 में केरल में खिलाफत की स्थापना की माँग लेकर इस्लामी कट्टरपंथियों ने लाखों हिन्दुओं का नरसंहार किया। जिन्ना ने बंगाल में हिन्दुओं को मार के उसे इस्लामी मुल्क बनाने की बात कही थी।