भारत की अध्यक्षता में बीते सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई, इस मीटिंग में भारत ने दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चर्चा कराई थी, जिसे लेकर अब चीन आगबबूला हो गया है, बुधवार को चीन ने कहा कि विश्व निकाय की उच्चाधिकार प्राप्त इकाई यानी सुरक्षा परिषद विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा करने का उपयुक्त स्थान नहीं है, इतना ही नहीं पीएम मोदी की अगुवाई में हुई यूएनएससी की खुली चर्चा के बाद भारत के अध्यक्षीय वक्तव्य में चीन को कड़ा संदेश देने वाला बयान भी यूएनएससी के सदस्यों ने स्वीकार किया था।
खुली परिचर्चा
दरअसल पीएम मोदी की अध्यक्षता में समुद्री सुरक्षा पर हुई उच्चस्तरीय खुली परिचर्चा में रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, केन्या के राष्ट्रपति उहरु केन्यात्ता तथा वियतनाम के पीएम फाम मिन्ह चीन्ह तथा अन्य वर्चुअल रुप से शामिल हुए थे। मीटिंग में अमेरिका तथा चीन दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर आपस में भिड़ गये, इसमें समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय सहयोग बढाने को मान्यता देने वाले अध्यक्षीय बयान को सर्वसम्ममति से स्वीकार किया गया था, सुरक्षा परिषद की पांच स्थायी सदस्यों में से एक चीन ने प्रस्ताव का समर्थन किया था।
चीन ने क्या कहा
बैठक के संबंध में अपनी पहली प्रतिक्रिया में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चर्चा करने के लिये सुरक्षा परिषद उपयुक्त स्थान नहीं है, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा पर एक खुली परिचर्चा की, पूर्व की सहमति के आधार पर एक अध्यक्षीय बयान स्वीकार किया।
अनदेखी नहीं की जा सकती
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने सामान्य तौर पर जोर देकर कहा कि समुद्री सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की अनदेखी नहीं कर सकते, पाइरेट्स तथा अन्य समुद्री अपराधों से निपटने के लिये अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय सहयोग बढाने का समर्थन किया। कहा कि चीन समुद्री सुरक्षा को अत्यंत महत्व देता है, साथ ही पारस्परिक रुप से लाभकारी सहयोग वाली सामान्य समुद्री सुरक्षा अवधारणा की पैरवी करता है।