नाइनटीज के मुंबई में अंडरवर्ल्ड की कहानियों में से एक को हमेशा याद किया जाता है, ये सिर्फ कहानी नहीं है, बल्कि चकाचौंध वाले बॉलीवुड को अपने डर के साये में लाने की अंडरवर्ल्ड की एक कोशिश थी, जिसमें वो कामयाब भी हुए, वो दिन को नहीं भूल सकता, जब टी-सीरीज के मालिक गुलशन की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, आज यानी 12 अगस्त को गुलशन कुमार की पुण्यतिथि है, इस मौके पर पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया द्वारा किये गये उन खुलासों का जिक्र करेंगे, जिसने पुलिस महकमे और बॉलीवुड की नींद उड़ा दी थी।
राकेश मारिया ने अपनी किताब लेट मी से इन नाऊ में खुलासा किया है कि मुंबई पुलिस जानती थी कि अंडरवर्ल्ड गुलशन कुमार की हत्या करने की योजना बना रहा है, लेकिन फिर भी वो इस घटना को नहीं टाल पाये, हमने मारिया की वो किताब तो नहीं पढी है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में उनकी इस किताब के हवाले से लिखा गया है कि 22 अप्रैल 1997 को राकेश मारिया को एक फोन आया था, एक खबरी ने राकेश मारिया से कहा था कि सर गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है।
इस पर राकेश मारिया ने खबरी से पूछा, ये विकेट कौन लेने वाला है, मारिया कि इस बात का जबाव देते हुए खबरी बोला, अबु सलेम, साहब उसने अपने शूटर्स के साथ सब प्लान नक्की किया है, गुलशन कुमार सुबह से निकलते सबसे पहले एक शिव मंदिर जाता है, वहीं पर काम खत्म करने वाले हैं।
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद राकेश मारिया ने तुरंत फिल्ममेकर महेश भट्ट को फोन किया, उनसे पूछा कि क्या वो गुलशन कुमार को जानते हैं, पूर्व पुलिस कमिश्नर ने महेश भट्ट से ये भी पूछा कि क्या गुलशन कुमार रोज सुबह किसी शिव मंदिर जाते हैं, रिपोर्ट के अनुसार मारिया अपनी किताब में बताते हैं कि उन्होने महेश भट्ट को बताया था कि वो किस वजह से गुलशन कुमार के बारे में पूछ रहे हैं। इसके कुछ देर बाद महेश ने राकेश मारिया को फोनकर ये पुष्टि की, कि हां गुलशन कुमार रोज सुबह मंदिर जाते हैं, मारिया लिखते हैं, इसके बाद फिर मैंने भट्ट से बात की, मैं क्राइम ब्रांच को ब्रीफिंग करुंगा और वो गुलशन कुमार से कहें, कि जब तक क्राइम उनसे संपर्क नहीं कर लेती और उनकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं कर लेती, तब तक वो घर से बाहर ना निकले, आपको बता दें कि ये उस समय की बात है, जब राकेश मारिया असिस्टेंट आईजी हुआ करते थे।
दिनदहाड़े मर्डर
मारिया ने अपनी किताब में लिखा है, इसके बाद मैंने क्राइम ब्रांच को फोन किया, अपने मुखबिर द्वारा दी गई जानकारी उन्हें दी, इसके बाद क्राइम ब्रांच ने गुलशन कुमार को अपेक्षित सुरक्षा प्रदान की, हालांकि 12 अगस्त 1997 को जब मुझे फोन आया, तो ये मेरे लिये बहुत ही हैरान कर देने वाला था, क्योंकि ये बिल्कुल वैसा भी था, जैसा मेरे मुखबिर ने मुझे बताया था। 12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी स्थित एक शिव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार को अंडरवर्ल्ड के गुर्गों ने गोलियों से छलनी कर दिया, ये काला दिन कोई नहीं भूल सकता।