जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ दर्ज एक मामले में प्रदेश पुलिस और सीआरपीएफ की मदद से रविवार (अगस्त 8, 2021) को लगभग 56 स्थानों पर छापेमारी की।
NIA के प्रवक्ता ने बताया कि एनआईए ने कश्मीर के सभी 10 जिलों और जम्मू प्रांत के 4 जिलों- रामबन, किश्तवाड़, डोडा और राजौरी में 56 स्थानों पर संयुक्त छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी ने दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों को जब्त कर लिया। एजेंसी प्रवक्ता ने कहा, “प्रतिबंधित संगठन के पदाधिकारियों, सदस्यों और कथित तौर पर जमात-ए-इस्लामी द्वारा संचालित ट्रस्ट के कार्यालय परिसरों में आज तलाशी अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान, संदिग्धों के परिसर से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए।”
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का हालिया एक्शन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक है। पूरी कार्रवाई के दौरान श्रीनगर में सौरा निवासी गाजी मोइन-उल इस्लाम के आवास और नौगाम में अलगाववाद का बीज बोने वाले फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर भी छापेमारी हुई। इसके अलावा बांदीपोरा में पूर्व जमात अध्यक्ष के आवास, अनंतनाग जिले में मुश्ताक अहमद वानी पुत्र गुलाम हसन वानी, नजीर अहमद रैना पुत्र गुलाम रसूल रैना, फारूक अहमद खान पुत्र मोहम्मद याकूब खान और आफताक अहमद मीर, अहमदुल्ला पारे के ठिकानों पर भी छापेमारी हुई है। बडगाम जिले में डॉ मोहम्मद सुल्तान भट, गुलाम मोहम्मद वानी और गुलजार अहमद शाह समेत कई जमात नेताओं के आवासों पर छापेमारी हुई।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत जमात-ए-इस्लामी को 5 साल के लिए इस आधार पर प्रतिबंधित किया था कि वह आतंकवादी संगठनों के ‘करीबी संपर्क’ में था और उसपर प्रदेश में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ाने की आशंका थी। इसके अलावा अभी हाल में एनआईए ने 5 फरवरी 2021 को इस जमात-ए-इस्लामी पर अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक मामला दर्ज किया है। इस संगठन को हिजबुल मुजाहिदीन का राजनीतिक चेहरा कहा जाता है। इसका काम आतंकियों को प्रशिक्षण देना, वित्तीय मदद करना, शरण देना और हर संसाधन मुहैया कराना था। इसके अलावा इसे कई आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है।