चेक रिपब्लिक के जेवलिन खिलाड़ी जैन जेलेजनी का अपने पूरे करियर में शायद ही भारत के साथ कोई कनेक्शन हो, लेकिन आज पूरा देश उनका आभार व्यक्त कर सकता है. दरअसल, अनजाने में ही सही, लेकिन जेलेजनी की नीरज चोपड़ा की भाला फेंक की तकनीकियों में सुधार में बड़ी भूमिका है. नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल को अपने नाम कर भारतीय खेलों में एक नए युग की शुरुआत की है.
कैसा रहा नीरज का करियर?
नीरज ने अपने करियर का सबसे बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. हालांकि, इसके पीछे उनकी कई साल की मेहनत है. नीरज ने काफी उम्र में ही पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में भारतीय खेल प्राधिकरण सेंटर में जूनियर एथलीट के तौर पर शुरुआत की. उन्होंने यहां चार साल ट्रेनिंग की और कई इवेंट्स में बहुत सारे रिकॉर्ड तोड़े.
2015 में 80 मीटर तक पहुंचे नीरज
2015 में नीरज ने पटियाला में इंटरवर्सिटी चैंपियनशिप में 81.04 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड जीता. 2016 में नीरज ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को पेश किया. उन्होंने पोलेंड में 86.48 मीटर भाला फेंक कर अंडर 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016 में गोल्ड जीता. यह जूनियर स्तर पर अभी भी रिकॉर्ड है.
नीरज ने 2018 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता. दोनों में गोल्ड जीतकर उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड भी तोड़ा. हालांकि, इसके बाद उन्हें चोट से जूझना पड़ा. लेकिन इससे नीरज के प्रदर्शन में कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने 7 अगस्त को टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया.