ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बुधवार (4 अगस्त 2021) को अंतर-धार्मिक विवाह के खिलाफ बयान जारी कर मुस्लिम युवकों से मुस्लिम समुदाय के भीतर ही शादी करने की अपील की है। बोर्ड का कहना है कि मुस्लिम और गैर-मुस्लिम के बीच शादी को शरिया कानून के मुताबिक इस्लाम में हराम माना गया है। इसके अलावा यह धार्मिक रूप से गलत है।
दूसरे मजहब में शादी के खिलाफ उतरा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड। बोर्ड के एक्टिंग जनरल सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने आज जारी किया प्रेस नोट। कहा गैर मुस्लिम से शादी करना शरीयत के मुताबिक गलत। #AIMPLB #lovejihaad
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) August 4, 2021
AIMPLB के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुस्लिम युवाओं, आलिमों और मुस्लिम बच्चों के माता-पिता से इस संबंध में अपील की है। बोर्ड ने प्रेस नोट में गैर-मुस्लिम से शादी को गलत चलन करार देते हुए कहा कि अगर कोई मुसलमान किसी गैर-मुस्लिम से शादी करता है तो वह जिंदगी भर गलत काम करता रहेगा।
इस्लामिक शिक्षा न दे पाना इसका बड़ा कारण
बोर्ड के मुताबिक, मुस्लिम धर्म के बाहर जो लोग शादी कर रहे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनके अम्मी-अब्बू ने उन्हें इस्लाम की सही ढंग से शिक्षा नहीं दी है। इसके साथ ही बोर्ड ने धार्मिक नेताओं और मुस्लिम बच्चों के अभिभावकों से अपने बच्चों को समुदाय में ही शादी करने के लिए मनाने की अपील की है। एक बयान में बोर्ड ने कहा है कि ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जहाँ मुस्लिम लड़कियों ने गैर-मुसलमानों से शादी की और बाद में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इस्लामिक नेताओं से अंतर-धार्मिक विवाह से होने वाले नुकसान के बारे में तकरीरों में नियमित रूप से इस विषय को उठाने का भी आग्रह किया है।
बच्चों के मोबाइल फोन पर नजर रखने की सलाह
बोर्ड ने मुस्लिम लड़के-लड़कियों के अभिभावकों को उनके फोन पर नजर रखने और उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने की सलाह दी है। इसके साथ ही लड़कियों को को-एड स्कूलों के बजाय लड़कियों के स्कूलों में पढ़ाने का भी आग्रह किया। बोर्ड ने कहा, “अम्मी-अब्बू को चाहिए कि लड़कियों को स्कूल के अलावा घर से बाहर समय बिताने को लेकर उन्हें हतोत्साहित करे। उन्हें ये समझाना चाहिए कि केवल एक मुस्लिम ही उनकी जीवनसाथी हो सकता है।”
बोर्ड का कहना है कि जब मुस्लिम लड़के या लड़कियाँ रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करते हैं तो शादी से पहले उनके नाम की एक लिस्ट जारी होती है। धार्मिक संगठनों, संबंधित पक्षों, मदरसों के शिक्षकों और मुस्लिम समुदाय के महत्वपूर्ण लोगों को शादी करने वाले लोगों के पास जाकर उन्हें बताना चाहिए कि इस तरह के विवाह से जीना हराम हो जाएगा।
मुस्लिम बच्चों की जल्दी शादी कर देनी चाहिए: AIMLB
मुस्लिम पर्नल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम अभिभावकों से कम उम्र में ही अपने बच्चों की शादी करने और उसमें देरी नहीं करने का आग्रह किया है, खासकर लड़कियों के मामले में। बोर्ड ने कहा, ”विवाह में देरी भी इस तरह के अंतर-धार्मिक विवाहों का एक प्रमुख कारण है।”
लव जिहाद के बढ़ते मामले
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश भर के कई राज्यों में लव जिहाद के खिलाफ कानूनों को अमल में लाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने पहले ही जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून पारित कर दिए हैं। शरिया कानून के मुताबिक, अगर कोई गैर-मुस्लिम किसी मुस्लिम से शादी करना चाहता है तो उसे पहले अपना धर्म त्यागकर इस्लाम धर्म अपनाना होगा। ऐसा नहीं करने पर उस विवाह को फसीद या शरिया के खिलाफ माना जाएगा। ऐसे मामलों में, अन्य धर्मों के पति या पत्नी शरिया के अनुसार कई अधिकारों के हकदार नहीं होंगे।
प्रेस नोट में कहा गया है कि अगर मुस्लिम लड़कियाँ दूसरे धर्म में शादी करती हैं तो उन्हें बहुत नुकसान होता है, जबकि हकीकत में लव जिहाद या ग्रूमिंग जिहाद के मामले मुस्लिम पुरुषों से शादी करने वाली हिंदू महिलाओं के लिए अधिक घातक होते हैं। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को असंवैधानिक करार दिया था। इससे पहले अदालत ने अक्टूबर 2020 में भी इसी तरह की टिप्पणियाँ की थीं।