रेसलर रवि दहिया ने इतिहास रच दिया है । उन्होंने पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में कजाकिस्तान के सनायव नूरिस्लाम को हराकर फाइनल में जगह बना ली है । रवि ने इसी जीत के साथ सिल्वर मेडल भी पक्का कर लिया है । रवि कुमार शुरुआती मुकाबले में पिछड़ रहे थे, वह 7-9 से पीछे चल रहे थे । इस दौरान सनायव नूरिस्लाम घायल भी हो गए और इसी का फायदा रवि कुमार को मिला । कजाकिस्तान के पहलवान को अपनी चुनौती वापस लेनी पड़ी और 7-9 पर रवि खेल के विजेता बन गए ।
पिता के सपने को पूरा करेंगे रवि
हरियाणा मूल के रेसलर के पिता राकेश कुमार आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे । लेकिन वो अपने बेटे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते हुए देखना चाहते हैं। रवि ने आज पिता के सपने को पूरा कर दिखाया। राकेश खुद भी कुश्ती करते थे और आगे बढ़ना चाहते थे । लेकिन आर्थिक हालातों के आगे मजबूर हो गए और खेती में जुट गए। रवि भी पिता के साथ खेतों में काम करते आए हैं ।
गांव के आखड़े में सीखे गुर
सोनीपत के गांव नाहरी के मूल निवासी रवि दहिया को उनके पिता, गांव के संत हंसराज के पास पहलवानी सिखाने के लिए लेकर गए थे। यहीं गांव की मिट्टी में ही उन्होंने रवि को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने शुरू किए। 10 साल के हुए तो पिता ने छत्रसाल स्टेडियम भेजा । रवि ने पहली बार साल 2015 में जूनियर रेसलिंग विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक अपने नाम किया था ।
ऐसा रहा सफर
साल 2017 में सीनियर नेशनल गेम्स में सेमीफाइनल तक पहुंचे, लेकिन घुटने की चोट के चलते प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। 2018 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रवि ने रजत पदक जीता और इसके बाद 2019 में हुई विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। अब रवि के पिता राकेश ने अपने छोटे बेटे पंकज को भी कुश्ती में उतारा है।