नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार (अगस्त 3, 2021) को संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए यह साफ कर दिया कि कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म का अनुसरण करता है उसे अनुसूचित जाति वर्ग का नहीं माना जाएगा। सरकार ने कहा कि उनकी योजनाओं का उद्देश्य अनुसूचित जाति का कल्याण और विकास है। उनका लाभ कन्वर्टेड ईसाइयों को नहीं दिया जा सकता।
केंद्र सरकार ने यह जानकारी आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा 30 जुलाई को जारी एक आदेश के संबंध में दी। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों (हिंदुओं) को दी गई गैर-सांविधिक रियायतें अनुसूचित जाति के ईसाई और बौद्ध धर्म में परिवर्तित लोगों को दी जाएँगी। हालाँकि केंद्र सरकार ने इस मामले पर कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार की योजना केंद्र से मिलने वाले लाभों पर लागू नहीं होगी।
आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म अपनाने वाले 80% SC
रिपोर्ट्स के अनुसार, आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म में कन्वर्ट होने वाले 80 प्रतिशत लोग SC वर्ग से आते हैं और 1977 के आदेश के तहत योजनाओं से मिलने वाले हर किस्म के लाभ का फायदा भी उठाते हैं। फिर चाहे वह कोई आवास योजना हो, फ्री बिजली की व्यवस्था हो या फिर लोन लेना आदि। लेकिन, बता दें 1950 के राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि ‘केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों को मानने वालों को ही हिंदू माना जाएगा। जिस क्षण कोई मौजूदा अनुसूचित जाति का व्यक्ति उपरोक्त धर्मों का पालन और पालन करना बंद कर देता है, वह अनुसूचित जाति नहीं रह जाता है और अनुसूचित जाति के लिए कोई लाभ उसे या उसके लिए नहीं दिया जा सकता है।’ इसलिए इसी आदेश के अनुसार अगर कोई अनुसूचित वर्ग का व्यक्ति ईसाई धर्म अपनाता है तो उसे इसके फायदे नहीं मिलेंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी सरकार द्वारा ईसाइयों को दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की मुफ्तखोरी से न केवल जनता के पैसे का नुकसान हो रहा बल्कि तुष्टिकरण की योजनाओं से आंध्र प्रदेश के नागरिकों को धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, आंध्र प्रदेश की कुल आबादी मे ईसाई समुदाय का लगभग 1.4% हिस्सा है, हालाँकि, धर्मांतरण की बढ़ती घटना के कारण राज्य में इनकी संख्या अधिक होने का अनुमान है।
साल 2020 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश समाज कल्याण विभाग को हिंदू एससी / ओबीसी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके आपदा राहत कोष के तहत मानदेय प्राप्त करने वाले ईसाई पादरियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस संबंध में लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने आवाज उठाई थी और पूरे स्कैम पर सरकार का ध्यान दिलाया था।