विराट कोहली एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो 22 गज की पट्टी पर काफी जोश और आक्रामकता लाते हैं। वह अपनी आक्रमक शैली के लिए प्रसिद्ध हैं जो वह टीम और खुद को प्रेरित रखने के लिए जमीन पर छोड़ते हैं। हालांकि, कोहली को अब महानतम बल्लेबाजों में से एक माना जाता है, लेकिन उनके पास उतार-चढ़ाव वाला दौर भी रहा है, जब उन्होंने मैच रेफरी से कहा था कि मुझे बहुत अफसोस है, कृप्या मुझे बैन मत करिए।
2011-12 में ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा कोहली के टेस्ट करियर का मुख्य आकर्षण रहा है। भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की करने से पहले, एक जूनियर टेस्ट खिलाड़ी रहे विराट कोहली को डेब्यू के बाद कम मौका मिल था। हालांकि, इस टेस्ट सीरीज में कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने पहले मैच से ही कोहली का समर्थन किया। धोनी, वैसे भी खिलाड़ियों पर भरोसा जताने के लिए जाने जाते रहे हैं। यहां तक कि लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद कोहली को तीसरे टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में रखा।
विराट कोहली को भले ही एमएस धौनी का समर्थन प्राप्त था, लेकिन तीसरे टेस्ट में उनकी भागीदारी सिडनी टेस्ट मैच में उनके मैदान पर किए गए व्यवहार की वजह से संदिग्ध लग रही थी। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया एक ऐसी टीम है, जो खिलाड़ियों को किसी न किसी तरह से परेशान करती है। यहां तक कि फैंस भी जोर-जोर से तालियां बजाकर खिलाड़ियों को पछाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
ऐसा ही वाकया विराट कोहली के साथ हुआ जब वे दूसरे टेस्ट के दौरान बाउंड्री लाइन पर फील्डिंग कर रहे थे। विराट कोहली को चिढ़ाने वाली भीड़ पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने फैंस को बीच की उंगली दिखाई थी। विराट के इसी व्यवहार की वजह से उन्हें बैन किया जा सकता था, लेकिन विराट ने मैच रेफरी से मिन्नतें कीं और वे बैन से बच गए। अब इसका खुलासा उन्होंने किया है।
इंग्लैंड दौरे पर गए भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने टाइम्स नाउ से बात करते हुए बताया, “मैच रेफरी (रंजन मदुगले) ने मुझे अगले दिन अपने कमरे में बुलाया और मुझे ऐसा लगा कि ‘क्या हुआ?’। उन्होंने कहा, ‘कल बाउंड्री पर क्या हुआ था?’ मैंने कहा, ‘कुछ नहीं, यह थोड़ा मज़ाक था’। फिर उन्होंने मेरे सामने अखबार फेंक दिया और मेरी यह बड़ी छवि पहले पन्ने पर थी और मैंने कहा, “इसका मुझे बहुत खेद है, कृपया मुझे बैन न करें!’। मैं उसी से दूर हो गया। वह एक अच्छे इंसान थे, वह समझते थे कि मैं छोटा था और ये चीजें होती हैं।”