लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्रौपदी घाट के मरम्मत के साथ हस्तिनापुर के गौरव को बहाल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हस्तिनापुर नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी मुकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि 40 लाख रुपए की लागत से द्रौपदी घाट का मरम्मत किया जा रहा है।
धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य के विकास के व्यापक दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। हाल ही में उनकी सरकार द्वारा इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में सबसे हालिया कदम है महाभारत ख्याति के हस्तिनापुर शहर में द्रौपदी घाट का जीर्णोद्धार।
द्रौपदी घाट का सौंदर्यीकरण पहले से ही चल रहा है। नगर पंचायत के चेयरमैन अरुण कुमार का कहना है कि 16 लाख रुपए आ चुके हैं और काम शुरू है। पुनर्निर्मित घाट में महिलाओं के स्नान के लिए एक झील, दो चेंजिंग रूम, वाशरूम और बेंच होंगे। महाकाव्य महाभारत के अनुसार प्राचीन काल में कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर, मेरठ जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित एक शहर है और इसका पौराणिक महत्व है।
इसकी महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घाट पर आज भी सैकड़ों महिलाएँ स्नान करने आती हैं। साल में एक बार यहाँ साताफेरी मेला भी लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में आसपास के इलाकों से लोग शामिल होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि घाट पर स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
गौरतलब है कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के अपने मिशन में, सीएम योगी ने यूपी को 10 पर्यटन सर्किटों में विभाजित किया है। विकसित किए जा रहे 10 पर्यटन सर्किटों में रामायण और महाभारत सर्किट, कृष्ण-ब्रज सर्किट, बौद्ध सर्किट, वन्यजीव और पर्यावरण-पर्यटन सर्किट, बुंदेलखंड सर्किट, शक्ति पीठ सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी-कबीर सर्किट और जैन सर्किट शामिल है। यह भारत के समृद्ध धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक इतिहास की पूरी श्रृंखला को कवर करते हैं।
महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर का पतन द्रौपदी के एक शाप के कारण शुरू हुआ था, जब कौरवों द्वारा शाही दरबार में उसका अपमान किया गया था। पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी सहित सब कुछ हार गए थे। चीरहरण के समय द्रौपदी ने हस्तिनापुर को श्राप दिया था कि जहाँ नारी का सम्मान नहीं होता वह जमीन पिछड़ जाती है। उस श्राप का असर आज भी देखने को मिल रहा है।
मान्यता यह भी है कि द्रौपदी प्रतिदिन घाट पर स्नान करने और पूजा करने जाती थी। एक दिन, वह वहाँ स्नान करने गई थी, तभी कुछ दूरी पर ऋषि दुर्वासा भी स्नान कर रहे थे। दुर्वासा नदी के अंदर थे, जब उनका अधोवस्त्र नदी के प्रवाह के साथ बह गया। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़ दिया और उन्हें शर्मिंदगी से बचाने के लिए ऋषि के पास भेज दिया। द्रौपदी की बुद्धि से प्रसन्न होकर ऋषि ने द्रौपदी को वरदान दिया कि उसकी गरिमा कभी प्रभावित नहीं होगी। दुर्वासा के इस आशीर्वाद के कारण ही भगवान कृष्ण ने उनके सम्मान की रक्षा की।