कानपुर। अमर दुबे की नाबालिग पत्नी पर राजकीय संप्रेक्षण गृह बाराबंकी की सहायक अधीक्षिका ने गंभीर आरोप लगाए हैं। किशोर न्याय बोर्ड को लिखे गए पत्र में कहा है कि उसका चाल-चलन ठीक नहीं है। इससे संप्रेक्षण गृह का माहौल खराब होने की आशंका है। उसे वहां से हटाने का अनुरोध किया है।
हालांकि, सहायक अधीक्षिका कंचन त्यागी का सार्वजनिक हुआ यह पत्र काफी पुराना है। 23 अक्टूबर 2020 को उन्होंने प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड, कानपुर देहात को एक पत्र लिखा था, जिसमें अमर दुबे की पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि संस्था में 10 से 18 वर्ष की किशोरियां निरुद्ध हैं, जबकि वह शादीशुदा है। संस्था के दो कमरों में 48 किशोरियां रहती हैं। आरोपित के चाल-चलन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया है कि वह धमकी देती है कि अपनी पहुंच की वजह से किसी भी किशोरी या संस्था से जुड़े व्यक्ति को उठवा सकती है। उसके संपर्क बड़े-बड़े लोगों से हैं।
पत्र में कहा गया है कि इन हालातों को देखते हुए उसको संप्रेक्षण गृह से हटाकर किसी अन्य संस्था या जिला कारागार की बच्चा जेल में रखा जाए। यह इसलिए भी जरूरी है, जिससे किशोरियों के बीच माहौल न बिगड़े। वहीं, इस बाबत अमर दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि ऐसे पत्र की जानकारी कुछ समय पूर्व हुई थी। संप्रेक्षण गृह की सहायक अधीक्षिका गलत आरोप लगा रहीं हैं। वह इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे।
हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी जमानत
चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात विकास दुबे और उसके साथियों द्वारा हमले में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद धरपकड़ अभियान के दौरान एनकाउंटर में विकास दुबे समेत गैंग के सात साथी मारे गए थे। पुलिस ने विकास दुबे के खास गुर्गे अमर दुबे की पत्नी को भी आरोपित बनाया था। बिकरू कांड के तीन दिन पहले ही उसकी शादी हुई थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। उसपर साजिश में शामिल होने और उकसाने का आरोप है। स्थानीय अदालत ने अमर दुबे की पत्नी को नाबालिग घोषित कर दिया था और उसे बाराबंकी के राजकीय नारी संरक्षण गृह में रखा गया है। अमर दुबे की पत्नी की ओर से हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।