दो साल पहले 26 जुलाई 2019 को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार गिरने के बाद बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के चौथी बार सीएम बने थे, लेकिन अपने चौथे कार्यकाल में वो भी कुर्सी पर सिर्फ दो साल ही टिक पाये, उनके सीएम के तौर पर सभी कार्यकाल विवादों से भरे तथा ज्यादा लंबे नहीं रहे, लेकिन अचानक उनके इस्तीफा देने की वजहें क्या थी। येदियुरप्पा कर्नाटक के ताकतवर लिंगायत समुदाय से नाता रखते हैं, वो पहली बार 2007 में सीएम बने थे, लेकिन सिर्फ एक हफ्ते ही सीएम की कुर्सी पर रह सके, फिर 2008 से 2011 तक सीएम रहे, इस बार करप्शन के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा, 2018 में सिर्फ दो दिन के लिये सीएम बने, बहुमत साबित नहीं करने पर इस्तीफा देना पड़ा, हालांकि बाद में कांगेस और जेडीएस के 13 विधायकों के साथ आने के बाद चौथी बार सीएम बनें।
5 साल के लिये सीएम नहीं
येदियुरप्पा चार बार कर्नाटक के सीएम बने, लेकिन हर बार उनका कार्यकाल लंबा नहीं चल सका, वो कभी पांच साल के लिये सीएम की कुर्सी पर नहीं रहे। माना जा रहा था कि 2023 में होने वाले अगले चुनावों तक वो सीएम रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, आखिर वो क्या वजहें हैं, जिसकी वजह से उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।
1.शुरु से ही पार्टी में विरोध था, पार्टी के वरिष्ठ नेता नका विरोध कर रहे थे, उनका कहना था कि येदियुरप्पा उनकी अनदेखी करते हैं, नये लोगों को ज्यादा तरजीह देते हैं।
2.एक साल से पार्टी हाईकमान का दबाव, दरअसल जब प्रदेश में पार्टी के नेता येदियुरप्पा को लेकर असंतुष्ट होना शुरु हुए, उनकी शिकायतें हाईकमान तक पहुंचने लगी, तो पार्टी ने पिछले एक साल से ही उन पर दबाव बढा दिया था, ऐसे में लग रहा था कि उन्हें जाना ही होगा।
3.राज्यसभा चुनाव के लिये नामांकन होना था, तो येदियुरप्पा ने केन्द्र को अपनी ओर से कई नाम भेजे थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनके नांमों को दरकिनार कर दिया, जिससे साफ हो गया कि अब वो पार्टी हाईकमान के पसंदीदा नहीं रह गये, ये उनके लिये पद से हटाये जाने से पहले साफ संकेत था।
4.पिछले कुछ महीनों में प्रदेश में पार्टी के नेता येदियुरप्पा के खिलाफ खुलकर बयान दे रहे थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने किसी पर भी कोई एक्शन नहीं लिया, माना जाने लगा कि ये सब पार्टी हाईकमान की शह पर ही हो रहा है, दूसरा संकेत था कि अब वो पार्टी हाईकमान की पसंद नहीं रह गये हैं, उन्हें जाना ही होगा।
5.प्रदेश में पार्टी नेता ही नहीं बल्कि दूसरे लोग भी कह रहे थे कि उनका बेटा बीवाई विजेन्द्र प्रॉक्सी सीएम के तौर पर काम कर रहा है, करप्शन के आरोप भी लगने लगे थे। पार्टी हाईकमान चाहता था कि येदियुरप्पा की जगह प्रदेश में ताकतवर नेताओं की दूसरी कतार खड़ी की जाए, ताकि 2023 का अगला चुनाव उसी की अगुवाई में लड़ा जाए।