दैनिक भास्कर ग्रुप पर छापेमारी के 2 दिनों के बाद इनकम टैक्स विभाग ने मीडिया समूह पर पिछले 6 सालों में 700 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया है, आयकर विभाग के मुताबिक दैनिक भास्कर ग्रुप ने स्टॉक मार्केट के नियमों का उल्लंघन करते हुए तमाम फर्जी कंपनियां बना ली थी, इन कंपनियों के बीच 2200 करोड़ रुपये का लेन-देन भी हुआ है।
जांच जारी
इनकम टैक्स विभाग ने दैनिक भास्कर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन सीबीडीटी के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि समूह की दिलचस्पी मीडिया के अलावा रियल इस्टेट, टेक्सटाइल और पावर सेक्टर में रही है, सीबीडीटी के मुताबिक छापेमारी के दौरान मिली भारी मात्रा की सामाग्री की जांच की जा रही है। आपको बता दें कि 22 जुलाई को टैक्स चोरी के मामले में इनकम टैक्स विभाग ने दैनिक भास्कर के कई ऑफिसों में एक साथ छापा मारा था, विभाग ने मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित 9 शहरों में फैले 20 रेजिडेंशियल और 9 कमर्शियल कैंपस शामिल हैं, वहीं मीडिया समूह ने इस छापेमारी को लेकर सरकार का घेराव करते हुए कहा कि कोरोना मिसमैनेजमेंट को लेकर की गई पत्रकारिता से परेशान होकर ये कदम उठाया गया है।
क्या कहा
दिव्य भास्कर गुजरात के संपादक देवेन्द्र भटनागर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, कि पहले उन्होने अलग-अलग तरीकों से दबाव डालने की कोशिश की, पिछले ढाई महीनों में केन्दॅ और राज्य सरकार ने अखबार को विज्ञापन देना बंद कर दिया था, संपादक के मुताबिक विज्ञापन देना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, वो इसे रोक सकते हैं। बावजूद इसके जब सरकार ने कुछ अच्छा किया, तो हम उसके छापते रहे, जब कुछ गलत किया, तो हमने उसे भी प्रकाशित किया, भटनागर के मुताबिक ये छापेमारी भास्कर द्वारा लगातारा की जा रही रिपोर्टिंग और सरकार की नाकामियां उजागर करने का इनाम है।
लोन दूसरी कंपनी को डायवर्ट
सीबीडीटी के अनुसार छापेमारी में पाया गया कि ग्रुप में करीब 100 से ज्यादा होल्डिंग सब्सिडिरी कंपनीज हैं, इन कंपनियों का संचालन कर्मचारियों के नाम पर किया जा रहा था, इसका इस्तेमाल रुट की फंडिंग के लिये भी किया जा रहा था, सीबीडीटी ने कहा कि ग्रुप की रियल इस्टेट इकाई, जो मीडिया, बिजली, कपड़ा सहित बिजनेस में शामिल है। जिसका सलाना 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार है, उसने सरकार बैंक से 597 करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसमें से 408 करोड़ अपनी दूसरी कंपनी को डायवर्ट कर दिया।