पाकिस्तान का साथ पाकर जिस तरह तालिबान अफगानिस्तान में अपने पैर पसार रहा है उसे देख सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर कहीं न कहीं भारत पर पड़ सकता है। खुद पाकिस्तान के पत्रकार अमजद अयूब मिर्जा ने द स्टेट्समैन में लेख लिख कर इस बात का खुलासा किया है कि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान में भड़की अराजकता का इस्तेमाल न केवल कश्मीर में बल्कि केरल में भी आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकती है।
अमजद बताते हैं कि इस जानकारी को अफगान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सलेह ने कन्फर्म किया है कि पाकिस्तान के समर्थन के बिना तालिबान उत्तरी अफगानिस्तान से देश के पूर्वी हिस्से में काबुल तक इतनी तेजी से नहीं बढ़ सकता था। यानी साफ है कि अफगानिस्तान में हो रही तबाही में पाकिस्तान महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है और इसी को देख सुरक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उसका आगे का मकसद कश्मीर और केरल के मुसलमानों को भड़काने का है।
मिर्जा की रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी पहले की तरह दोबारा कश्मीर में अराजकता फैलाना चाहते हैं और इस बार उनके निशाने पर केरल भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान केरल में इस्लामी कट्टरपंथ फैलाकर स्थिति का फायदा लेना चाहता है ताकि भारत में आसानी से वह अपने मनसूबों को अंजाम दे सके। मिर्जा इस ओर भी इशारा करते हैं कि केरल में तालिबानी सोच को बढ़ावा मिलना कोई संयोग नहीं बल्कि सोची समझी साजिश है।
अफगानिस्तान में इस समय तालिबान जिस तरह अपना कब्जा कर रहा है उसके पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के सैंकड़ों आतंकी हैं। वहाँ तालिबान देश के मुख्य हिस्सों पर अपना नियंत्रण कर रहा है और दूसरी ओर आतंकी संगठन के आतंकी उसके बल को मजबूत करके खुलेआम आतंक फैला रहे हैं।
दोनों आतंकी संगठनों के आतंकवादी कुनार, ननगरहर, हेलमंद और कंधार प्रांत में सक्रिय हैं। यहाँ वह अपनी आतंकी गतिविधियों को बिना किसी रुकावट के जारी रख सकते हैं। साथ ही साथ केरल और कश्मीर में कट्टर इस्लामियों का समर्थन पाकर यहाँ हमले भी करवा सकते हैं। मिर्जा अपनी रिपोर्ट में इस बात को भी उजागर करते हैं कि अफगानिस्तान से अच्छे संबंध होने के बावजूद भारत ने अब तक आधिकारिक रूप से वहाँ की सरकार को अपना समर्थन नहीं दिया है। उनके मुताबिक भारत को डर है कि यदि ऐसा हुआ तो तालिबान की हिंसा का अगला निशाना भारत बन सकता है।
तालिबान के प्रभाव के साथ बढ़ सकता है नार्को-आतंवाद
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में चल रही हलचल के बीच भारतीय खुफिया एजेंसी अलर्ट पर हैं। उन्हें डर है कि तालिबान की जड़ें मजबूत होने के साथ इसका असर नारकोटिक्स स्मगलिंग पर पड़ेगा। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों का मानना है कि केरल सहित भारत में हाई क्वालिटी ड्रग जैसे हेरोइन और कोकीन की बढ़ती बरामदगी इस बात का संकेत हैं कि यहाँ तालिबान का प्रभाव बढ़ रहा है। हाल की बात करें तो केरल में मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर हवाई अड्डों पर पकड़े गए ड्रग्स की सप्लाई अफगानिस्तान से ही की गई थी। एनसीबी के अधिकारियों का भी इस संबंध में कहना है कि अफगानिस्तान में दो दशकों से अधिक समय से विदेशी सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद, तालिबान ने अपने वित्त पोषण के प्राथमिक स्रोत के रूप में अफीम की खेती को जारी रखा है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने का निर्णय लिया। ऐसे में नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, एक्साइज एंड नारकोटिक्स (NACEN) के पूर्व महानिदेशक जी श्रीकुमार मेनन ने कहा, “अगले कुछ महीनों में विदेशी सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के बाद और तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण किए जाने के बाद नार्को-आतंकवाद में तेजी आएगी। स्थिति चिंताजनक है क्योंकि भारत की आंतरिक सुरक्षा को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।”
वह कहते हैं कि तालिबान की फंडिंग में ड्रग्स के कारोबार का बड़ा योगदान है। यदि वे विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद सत्ता हासिल करते हैं, तो हथियार प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा जिसके लिए भारी धन की आवश्यकता होगी। इसके लिए वह अफीम की खेती को बढ़ाएँगे, जो अंततः भारत जैसे देशों को भेजी जाएगी। इससे मिलने वाले फंड का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए भी किया जाएगा। मेनन कहते हैं कि समुद्री मार्ग नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है और सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये असंभव है कि वो जो रोजाना समुद्र में जाने वाले जहाज को चेक करें। वह कहते हैं कि हमारे देश का समुद्र तट बहुत बड़ा है और चूंकि ड्रोन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, इसलिए उन्हें मादक पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल करने के प्रयासों से इंकार नहीं किया जा सकता है।