लखनऊ। हिंदी में एक प्रसिद्ध मुहावरा है “दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है”. ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ भी है. उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से हाथ मिलाया तो सत्ता से हाथ धो बैठे. उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और रालोद के साथ गठबंधन किया तो घर के सदस्य भी चुनाव हार गए.
बड़े दल सीटें ज्यादा लेते हैं, स्ट्राइक रेट कम होता है
अब अखिलेश यादव अपनी इस गलती से सबक लेते हुए आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में किसी बड़े दल से गठबंधन करने से तौबा कर चुके हैं. उनका ध्यान छोटे दलों को साधने पर है, जिनकी पकड़ किसी जाति या समुदाय विशेष में है. अखिलेश यादव का कहना है कि बड़े दल सीटें ज्यादा मांगते हैं, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट कम होता है.
बसपा से गठबंधन का सपा को काफी नुकसान हुआ
सपा और बसपा का गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद ही टूट गया था. इसको लेकर अखिलेश यादव के दिल की टीस एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में बाहर आई है. बसपा प्रमुख मायावती की उनसे नाराजगी के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि नाराज तो हमें होना चाहिए. सपा से गठबंधन कर बसपा तो शून्य से दस पर पहुंच गई, जबकि हमारे घर के सदस्य भी चुनाव हार गए.
यूपी में कांग्रेस पार्टी का कोई वोट बैंक नहीं बचा है
कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश में दम लगाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि उनका वोट कौन सा है? कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेश में अभी और काम करना चाहिए. उनके पास यूपी में कोई वोट बैंक नहीं बचा है. उन्होंने छोटे दलों से गठबंधन को सही बताते हुए कहा कि उन्हें ज्यादा सीटें नहीं देनी पड़ती हैं. सपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी चाहे तो वह उसे साथ ले सकते हैं. उन्होंने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी से गठबंधन की बात भी दोहराई.
यूपी में ओवैसी बंगाल की तरह असरहीन साबित होंगे
उत्तर प्रदेश चुनाव में ओवैसी की एंट्री के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि उनके आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अल्पसंख्यकों का सपा पर भरोसा कायम है. सपा ने उनके लिए काम किया है. बंगाल की तरह यूपी में भी ओवैसी असरहीन साबित होंगे. भाजपा की वैक्सीन वाले बयान अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में फैसला किया था. उस समय डाक्टरों को भी वैक्सीन पर भरोसा नहीं था, इसलिए भाजपा की वैक्सीन कहा.