विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा है कि ईसाई मिशनरियों और आलिम, इमाम, मौलवियों द्वारा किए जा रहे अवैध धर्मांतरण के अभिशाप से देश को मुक्ति दिलाने के लिए कठोर केंद्रीय कानून की आवश्यकता है। साथ ही, विहिप ने भारत के मंदिरों और हिंदू संस्थाओं को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की माँग की है। विहिप का कहना है कि भारत के मंदिर हिंदुओं के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक शक्ति के केंद्र हैं। इन केंद्रों से विभिन्न तरह की सामाजिक गतिविधियाँ चलाई जाती हैं, जो आगे बढ़ने में समाज की मदद करती हैं।
हमने अपने मंदिरों के लिए भी केंद्र सरकार से बात की है कि आप गुरुद्वारे और मस्जिदों का प्रबंधन नहीं करते फिर हमारे मंदिर क्यों आपके कब्ज़े में हैं। केंद्र में क़ानून बने और हमारे मंदिर वापस हों: आलोक कुमार, विश्व हिन्दू परिषद pic.twitter.com/OoiLiQgxNm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 18, 2021
हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित विहिप की केंद्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक 17 और 18 जुलाई को आयोजित की गई थी। बैठक में इन दोनों मुद्दों पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया। विहिप का कहना है कि इस समय देश के 11 राज्यों में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ कानून हैं, लेकिन यह समस्या देशव्यापी है, इसलिए कानून भी पूरे देश में लागू होने वाला होना चाहिए, ताकि धर्मांतरण के षडयंत्र को कुचला जा सके।
Copies of the resolutions passed in the Central Board of Trustees Meet of VHP concluded today in Manav Rachna, Faridabad… pic.twitter.com/wbm5GDR8Wc
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) July 18, 2021
विहिप का कहना है कि लोनी कांड के जाँच के दौरान हुए धर्मांतरण रैकेट के खुलासे से पूरा देश चिंतित है। लालच देने से लेकर लव जिहाद जैसे घिनौने रूप का इस्तेमाल कर षडयंत्र को सफल बनाने की कोशिश हो रही है। वहीं, ईसाई मिशनरियों के षडयंत्रों में भी तेजी आई है। विहिप ने कहा कि धर्मांतरण के जरिए अपनी जनसंख्या बढ़ाकर न सिर्फ साम्राज्यवादी लक्ष्यों को पाने की कोशिश की जा रही है, बल्कि आतंकी घटनाओं के माध्यम से देश की सुरक्षा को भी दाँव पर लगाया जा रहा है।
विहिप ने दावा किया कि संविधान सभा के सदस्य, रोहिणी चौधरी और लोकनाथ मिश्र ने मौलवियों-मिशनरियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय कानून की आवश्यकता पर बल दिया था। सरदार पटेल ने भी जरूरत के अनुसार इस पर कदम उठाने की बात कही थी। धर्मांतरण पर बनी नियोगी कमीशन और वेणुगोपाल कमीशन ने इसके लिए कानून बनाने का सुझाव दिया था। जबकि, वर्ष 1995 के सुप्रसिद्ध सरला मुदगिल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक केंद्रीय कानून बनाने के लिए कहा था।
हिंदू मंदिरों को लेकर विहिप का कहना है कि समृद्ध हिंदू मंदिरों को सरकार अधिग्रहित कर लेती है और उसके पैसे को मनमाने ढंग से खर्च करती है। विहिप ने आरोप लगाया कि इन मंदिरों की धन-संपदा को गैर-हिंदुओं के कामों में लगाया जाता है, जबकि इसका प्रयोग हिंदुओं के हित और भलाई के कार्यों में लगाया जाना चाहिए। विहिप का कहना है कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए मंदिर अधिग्रहण कानून के तहत आज भी मंदिरों को हड़पकर सरकारी नियंत्रण में लाया जा रहा है, जबकि चिदंबरम नटराज मंदिर मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि सरकारों को इन्हें अपने नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए।