ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष शेखर पंडित ने प्रदेश की सभी इकाई को भंग करते हुए नई कमेटी बनाने की घोषणा की
समाचार के मुद्दों पर वार्ता करते हुए उन्होंने कहा की सूचना विभाग द्वारा दिए जाने वाले सजावटी विज्ञापन विशेष समाचार पत्रों को ही दिए जाते हैं। जो कि मानक के विपरीत हैं। यह विज्ञापन समानता के आधार पर सभी समाचार पत्रों को दिया जाना चाहिए। चुनिंदा समाचार पत्रों को ही विज्ञापन दिया जाना माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय 13 मई 2015 के आदेशों की अवमानना है। आईना इस त्रुटिपूर्ण विज्ञापन नियमावली को सूचना विभाग से संशोधित कर दूर कराने के लिए वचनबद्ध है। समाचार पत्रों की दयनीय स्थिति करोना काल में और भी भयावह हो गई है, इस संकट काल में कई अखबार बंद हो चुके हैं या फिर बंद होने की कगार पर हैं। यह चिंता का विषय है कि अनेक वर्षों के अनुभवों वाले समाचार पत्रों के कर्मचारी बजट कम होने से सड़क पर आ गए हैं। आज का सबसे चिंतनीय प्रश्न यही है की समाचार पत्रों के अस्तित्व को कैसे बचाया जाए। हमारे सामने यह महत्वपूर्ण विषय है कि, छोटे मझोले समाचार पत्र विज्ञापनों पर ही निर्भर रहते हैं। उत्तर प्रदेश में बहुत से समाचार पत्रों को विज्ञापन ना देकर ऐसा प्रतीत होता है कि, इनके अस्तित्व को समाप्त करने का सोची समझी रणनीति के तहत कुचक्र चलाया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने समाचार पत्रों को दिए जाने वाले बजट में कोई कटौती नहीं की है। मुख्यमंत्री स्वयं मीडिया जगत के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं। यह विदित है की मीडिया जगत के लोग भली-भांति इस बात को जानते हैं। फिर भी समाचार पत्रों के अस्तित्व को मिटाने का षड्यंत्र किसके द्वारा रचा जा रहा है यह एक गंभीर जांच का विषय है।
शेखर पंडित ने कहा बहुत जल्दी ही पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत करते हुए इस विषय पर समाचार पत्रों के संपादकों पत्रकारों और समाचार पत्र से जुड़े हुए कर्मचारियों से गहनता से विचार विमर्श करते हुए निर्णय लिया जाएगा।