उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही राज्य को एक बार फिर नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है। संवैधानिक बाध्यता के चलते सीएम तीरथ सिंह रावत ने खुद ही शुक्रवार को पद से इस्तीफा दे दिया । रावत ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपना इस्तीफा भेजा । नई स्तिथि के बीच अब बीजेपी नेतृत्व मौजूदा विधायकों में से ही किसी को नया मुख्यमंत्री बना सकता है। इस रेस में कौन से नाम आगे हैं, आगे जानें ।
मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं राज्य सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत । रावत श्रीनगर विधानसभा से विधायक हैं। इन पर संघ की कृपा है । धन सिंह उत्तराखंड बीजेपी में संगठन मंत्री भी रह चुके हैं।
बंशीधर भगत
अगला नाम उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत का है, ये भी सीएम पद के दावेदारों की रेस में शामिल हैं। भगत कालाढूंगी विधानसभा सीट से विधायक हैं और उत्तराखंड में बनी विभिन्न सरकारों में मंत्री रहे हैं ।
सीएम पद की रेस में एक नाम हरक सिंह रावत का है, डेढ़ महीने पहले कोरोना महामारी से जुड़ी घटनाओं के बारे में मे बात करते हुए कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कैमरे के सामने ही रो दिए थे । इनके पास वर्तमान में आयुष और आयुष शिक्षा समेत कई महत्वपूर्ण विभाग हैं।
सतपाल महाराज
राज्य सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी सीएम पद के दावेदार बताए जा रहे हैं। सतपाल महाराज, उत्तराखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे थे । बतौर सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, आई के गुजराल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु पर उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए दबाव डाला था। 21 मार्च 2014 में सतपाल महाराज कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे।
उत्तराखंड के इस सियासी संकट पर आज 3 बजे विधायक दल की बैठक होनी है, बीजेपी की ओर से उत्तराखंड के पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर और डी पुरंदेश्वरी देहरादून के लिए रवाना हो चुक हैं । खबर है कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में दोपहर 3 बजे यह बैठक आयोजित होगी । सभी विधायकों को देहरादून में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। आपको बता दें, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को भेजे अपने इस्तीफे में कहा, ‘आर्टिकल 164-ए के हिसाब से मुझे मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा उपचुनाव में एक साल से कम समय बचता है तो वहां पर उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उत्तराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं।’