कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस कौशिक चंदा ने उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उनसे खुद को सुनवाई से अलग करने की माँग की गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह अर्जी दाखिल की है। मामला नंदीग्राम के विधानसभा चुनाव के नतीजों को हाईकोर्ट में चुनौती देने से जुड़ा है।
जस्टिस चंदा की एकल पीठ ने गुरुवार (24 जून 2021) को सुनवाई करते हुए कहा कि जब ममता बनर्जी के लिए केस लड़ रहे वकीलों की राजनैतिक पृष्ठभूमि होने के बाद भी उन पर भरोसा किया जा सकता है तो जज के लिए यह स्वीकार्यता क्यों नहीं? बनर्जी ने जस्टिस चंदा के बीजेपी से जुड़ाव का हवाला देकर ‘पक्षपात की संभावना’ जताई थी।
जस्टिस चंदा ने कहा कि इस केस में शामिल दोनों वकील का राजनीतिक जुड़ाव है। ममता बनर्जी की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी से उन्होंने कहा, “आप कॉन्ग्रेस से हैं और दूसरे वकील एसएन मुखर्जी भाजपा से जुड़े रहे हैं। लेकिन आप दोनों केस लड़ रहे हैं। अगर राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले वकीलों पर भरोसा किया जा सकता है तो जज पर क्यों नहीं?”
ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनाव परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करने के लिए ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को एक पत्र लिखकर अपनी याचिका जस्टिस कौशिक चंदा के अलावा किसी दूसरी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था। कारण यह था कि ममता बनर्जी, जस्टिस चंदा को भाजपा का सदस्य बता रही थीं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील संजय बसु ने दावा किया था कि याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस कौशिक चंदा भाजपा के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं। ऐसे में चुनाव याचिका पर फैसले के राजनीतिक निहितार्थ होंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी मुवक्किल को न्यायिक प्रणाली और न्यायालय पर बहुत विश्वास है लेकिन माननीय न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है।
आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनाव परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग की गई है। दरअसल नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने शुभेंदु के विरुद्ध चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।