नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (24 जून 2021) को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद ये केंद्र सरकार की बड़ी राजनीतिक पहल है। जम्मू-कश्मीर के गुपकार गैंग में शामिल सभी दलों एवं कॉन्ग्रेस ने इसमें शामिल होने की स्वीकृति दे दी है। साथ ही कॉन्ग्रेस का ये भी कहना है कि बैठक के न्योते के साथ इसका एजेंडा भी साथ में होता तो बेहतर होता।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से एक दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों, उनके प्रतिनिधियों को इस बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। वहीं, आतंकी गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा बलों के लिए जम्मू-कश्मीर में 48 घंटे के हाई अलर्ट का ऐलान किया गया है। गुरुवार को यहाँ इंटरनेट सेवा सस्पेंड की जा सकती है।
बताया जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना और पार्टी नेता तथा पूर्व डिप्टी सीएम कविंदर गुप्ता जम्मू से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुँच चुकी हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी भी प्रधानमंत्री मोदी के निवास पर 24 जून को होने वाली बैठक में शामिल होंगे।
गुपकार गैंग यानी पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के मुखिया पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला हैं। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीआई-एम), जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) और जम्मू और कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKANC) शामिल हैं।
बात कश्मीर के लोगों के हित में होगी तो मानी जाएगी
पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) नेताओं का कहना है कि अगर बैठक में बात कश्मीर के लोगों के हित में होगी तो मानी जाएगी, वरना हम सीधे इनकार कर देंगे। फारूक ने 22 जून को कहा, “हम कभी भी बातचीत के खिलाफ नहीं रहे। दिल्ली ने बातचीत का कोई एजेंडा नहीं बताया है, इसलिए हर मुद्दे पर बात होगी। कश्मीर मुद्दे पर हमारा स्टैंड सभी को पता है, पीएजीडी का एजेंडा सभी को पता है, उस पर कोई समझौता नहीं होगा। इसके अलावा हम सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई और देश की विभिन्न जेलों में बंद सभी कश्मीरी कैदियों को वापस जम्मू-कश्मीर की जेलों में स्थानांतरित करने पर जोर देंगे।”
पाकिस्तान से बातचीत करने में हिचक क्यों
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार (22 जून, 2021) को कहा, “संविधान ने जो अधिकार हमें दिया है, वह हमसे छीना गया है, उसे लौटाया जाए। इसके अलावा भी जम्मू-कश्मीर में एक मसला है, इसमें पाकिस्तान की भी एक भूमिका है। अगर सरकार दोहा में तालिबान से बातचीत कर सकती है तो फिर उसे यहाँ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों, आतंकी संगठनों और पाकिस्तान से बातचीत करने में हिचक क्यों है।”
महबूबा ने आगे कहा, “कश्मीर में अमन लाना है, तो पाकिस्तान के साथ भी बातचीत करनी चाहिए। मैं चाहती थी कि डॉ. फारूक ही हम सबका प्रतिनिधित्व करें, लेकिन डॉ. साहब ने कहा कि यह न्योता हम सभी को अलग-अलग मिला है, इसलिए हम सभी को जाना चाहिए। अगर नहीं जाएँगे तो हम पर वार्ता को नाकाम बनाने का आरोप लगेगा।”
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा कर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था। उन्होंने इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।