पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोजपा नेता चिराग पासवान से अपना बदला चुका लिया है। बिहार विधानसभा के पिछले साल हुए चुनाव के दौरान चिराग ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था और ऐलान किया था कि वे चुनाव के बाद नीतीश कुमार को किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। चुनाव के बाद नीतीश कुमार तो मुख्यमंत्री बन गए और हालात ऐसे बने कि चिराग पासवान अपनी पार्टी में ही पूरी तरह दरकिनार हो चुके हैं।
पार्टी के छह सांसदों में चिराग को छोड़कर पांच अन्य ने अलग ग्रुप बना लिया है। लोजपा की इस टूट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जदयू के तीन नेताओं ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले इन नेताओं ने चिराग को इतना बड़ा झटका दिया है कि वे अपनी ही पार्टी में बेगाने हो गए है। इस तरह नीतीश ने चिराग को पूरी तरह पैदल करने के साथ ही अपने ऊपर किए गए हमलों का हिसाब भी चुकता कर लिया है।
सियासी जानकारों का कहना है कि लोजपा में टूट कराने के लिए जदयू के तीन बड़े नेता काफी दिनों से लगे हुए थे। इन नेताओं में जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी और जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य संजय सिंह शामिल हैं।
इस पूरे अभियान की अगुवाई ललन सिंह कर रहे थे और उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है। लोजपा में टूट कराने के लिए ललन सिंह ने चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के साथ काफी दिनों से संपर्क साध रखा था। उनकी इन नेताओं के साथ दिल्ली और पटना में कई दौर की बातचीत भी हुई थी।
विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी राम विलास पासवान के नजदीकी रिश्तेदार हैं और उन्हें भी लोजपा की सारी भीतरी जानकारी थी। ये दोनों नेता पटना और दिल्ली में सक्रिय थे और लोजपा सांसदों से लगातार संपर्क बनाए हुए थे। माना जाता इन नेताओं ने लोजपा सांसदों को चिराग के खिलाफ बगावत करने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया।
जानकार सूत्रों का कहना है कि पशुपति कुमार पारस को नेता चुने जाने के लिए सांसद वीणा सिंह के घर पर हुई बैठक में ललन सिंह और महेश्वर हजारी के अलावा संजय सिंह भी मौजूद थे। सांसद वीणा सिंह के आवास पर दोपहर भोज की व्यवस्था भी की गई थी जिसमें जदयू के इन तीनों नेताओं ने लोजपा के पांचों सांसदों के साथ हिस्सा लिया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वीणा सिंह जदयू के विधानपरिषद सदस्य दिनेश सिंह की पत्नी है और इस कारण भी उनकी नीतीश कुमार के प्रति अच्छी सहानुभूति रही है।
लोजपा में हुई टूट के बाद नेता चुने गए पारस ने भी मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार की दिल खोलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाने मैं नीतीश कुमार मजबूत भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा के चुनाव के समय उन्होंने चिराग को एनडीए से अलग होकर चुनाव न लड़ने के बारे में कई बार समझाया था मगर चिराग अपनी जिद पर अड़े रहे। यही कारण था कि चुनाव नतीजों में पार्टी को बुरी हार झेलनी पड़ी और इसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भी काफी निराशा दिख रही थी।
विधानसभा चुनाव से पहले ही चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए थे। उन्होंने 143 विधानसभा सीटों पर लोजपा के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे और इनमें से 115 सीटें ऐसी थीं जिन पर जदयू प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे थे।
हालांकि चुनाव में चिराग कोई कमाल नहीं दिखा सके और सिर्फ एक सीट पर उनका प्रत्याशी विजयी हुआ और वह भी बाद में जदयू में ही शामिल हो गया। चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद चिराग पासवान को जदयू को 36 सीटों पर मिली पराजय के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
सियासी जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के जरिए लोजपा में टूट कराकर चिराग पासवान से अपना पुराना हिसाब चुकता कर लिया है। उन्होंने चिराग पासवान को ऐसा जबर्दस्त सियासी झटका दिया है जिससे उबरने में उन्हें काफी वक्त लगेगा। पार्टी का मुखिया होने के बावजूद वे पूरी पार्टी में खुद अलग-थलग पड़ चुके हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में उनकी क्या सियासी भूमिका होती है।