नई दिल्ली। कहने को को कांग्रेस एक राजनीतिक दल (पार्टी) है, लेकिन इन दिनों कांग्रेस की हालत बिल्कुल वैसी है जैसे दलदल.. जो इसमें जाता है डूब ही जाता है. कांग्रेस में जाने वालों के बारे में शायद ही कोई सुनता होगा, लेकिन कांग्रेस से भागने वालों की कतार बड़ी लंबी है. जितिन प्रसाद भी इसी लिस्ट में शामिल हो गए.
प्रियंका की कोशिश पर फेरा पानी
पिछले कुछ वक्त जब से प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी बनकर आईं हैं, वो यूपी में पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी. हालांकि इसला कोई फायदा होता नहीं दिख रहा.
ऐसा लगने लगा है कि राजनीति में कांग्रेस पार्टी जैसे अभिशाप बन गई है, कोई उसे पसंद ही नहीं करता. प्रियंका गांधी यूपी में काफी मेहनत करती दिख रही थी. हर मुद्दे को तूल देकर कांग्रेस महासचिव मैडम प्रियंका जबरदस्त तरीके से भुनाती रही हैं.
यूपी का प्रभार संभालने के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी उत्साह बढ़ रहा है. यूथ कांग्रेस से लेकर छांत्र संगठन NSUI में भी मजबूती दिखी. इन सबके बीच जितिन प्रसाद ने प्रियंका की कोशिश पर पानी फेर दिया.
पहली यूपी की सीएम फिर देश की पीएम?
देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्व किसी से छिपा नहीं है. वो कहते हैं न दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है. यूपी के 80 सांसद देश की सरकार गिराने और बनाने की क्षमता रखते हैं.
ये बात कांग्रेस को बखूबी मालूम है, क्योंकि देश पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस ही है. शायद यही वजह थी कि प्रियंका गांधी समेत पूरी कांग्रेस यूपी में अपना पूरा जोर आजमाइश करती दिख रही हैं. कई राजनीतिक दिग्गजों का तो ये तक मानना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा पहले यूपी की सीएम और उसके बाद देश की पीएम बनने का ख्वाब देख रही हैं.
वैसे तो राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, ऐसे में हो सकता है कि कांग्रेस और प्रियंका का ये सपना शायद आने वाले दिनों में साकार भी हो जाए, लेकिन मैडम प्रियंका के इस सपने को गहरा चोट जितिन प्रसाद ने पहुंचाया है.
कैसे जितिन प्रसाद ने तोड़ा मैडम प्रियंका का सपना?
माना जाता है कि जितिन प्रसाद का वेस्ट यूपी में अच्छा खासा दबदबा है. कईयों ने तो ये भी कहा है कि ‘राइट मैन इन रॉन्ग पार्टी’ मतलब ये कि वो एक अच्छे नेता हैं सिर्फ पार्टी गलत है. हालांकि जब कांग्रेस पार्टी पावर में थी और कांग्रेस को लोग पसंद करते थे तब जितिन प्रसाद ने अपना पूरा दम दिखाया था.
अब ज़रा इस बात को समझिए कि कैसे जितिन प्रसाद ने मैडम प्रियंका का सपना तोड़ा? दरअसल, यूपी चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा फिक्र वेस्ट यूपी के वोटों की ही है. किसान आंदोलन और कई मसलों को लेकर भाजपा खुद को वेस्ट यूपी में कमजोर आंक रही है.
निश्चित तौर पर उसे एक ऐसे चेहरे की तलाश थी, जिसके नाम पर वो वेस्ट यूपी के लोगों के सामने जाकर वोट मांग सके. यदि बीजेपी का ये दाव कारगर साबित हुआ तो इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को ही होगा. कांग्रेस को नुकसान यानी प्रियंका का सीएम और उसके बाद पीएम बनने के सपने पर ब्रेक लग जाएगा.
जितिन प्रसाद का सियासत में कितना दमखम?
शाहजहांपुर की धरती से आने वाले जितिन प्रसाद राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी माने जाते हैं. जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) वर्ष 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने थे. 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट, शाहजहांपुर से लोकसभा चुनाव लड़े व जीत हासिल की थी.
वर्ष 2008 में वे पहली बार केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री बने थे. 2009 में जितिन 15वीं लोकसभा के लिए चुनाव धौरहरा से लड़े व विजयी हुए. यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है है. कांग्रेस और प्रियंका गांधी को इस बार यूपी से ढ़ेर सारी उम्मीदें हैं. जितिन प्रसाद ने उनका सपना तोड़ने के लिए जमीन तैयार कर ली है. अब देखना होगा कि चुनावी युद्ध में इसका कितना असर होता है.