बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के खिलाफ अपने पुराने ट्वीट के वायरल होने के बाद न्यूजलॉन्ड्री निवेशक महेश मूर्ति एक बार फिर सोशल मीडिया पर विवाद का केंद्र बन गए हैं।
4 सितंबर, 2012 को एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, “सरकार प्रमोशन के लिए एससीटी/एसटी आरक्षण को मँजूरी दी। अगला एससी/एसटी आरक्षण आपकी सेक्स लाइफ में होगा! आखिरकार मायावती ने भी पाया।”
यह घिनौना ट्वीट बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा प्रमोशन में आरक्षण को शामिल करने की अनुमति देने के बाद उन पर किया गया था। हालाँकि सोमवार (मई 24, 2021) को ट्वीट वायरल होने के बाद 2018 #MeToo मामले के आरोपित मूर्ति ने झट से इसे डिलीट कर दिया।
महेश मूर्ति ने मंगलवार (मई 25, 2021) को ‘हास्य की बेकार कोशिश’ में ‘बेतुकी बातें’ कहने के लिए माफी माँगी। उन्होंने ट्वीट किया, “दोस्तों, मैंने लगभग 9 साल पहले ट्विटर पर जाति, आरक्षण और राजनीति के बारे में कुछ बेवकूफी भरी बातें कही थीं। मैं तब बेवकूफ था और यह हास्य का एक घटिया प्रयास था। मैंने उन ट्वीट्स को हटा दिया है और उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ। माफ़ करना।”
दिलचस्प बात यह है कि महेश मूर्ति वामपंथी प्रचारक वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री को फंड देते हैं, जो एक स्वतंत्र संगठन होने का दावा करती है। हालाँकि न्यूजलॉन्ड्री भारत में महिला अधिकारों और #MeToo आंदोलन के बारे में मुखर रही है, लेकिन यह अपने निवेशक के खिलाफ यौन दुराचार के आरोपों के सामने चुप रही है।
महेश मूर्ति पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप
2017 में, ऑपइंडिया समेत कई मीडिया संगठनों ने 6 महिलाओं द्वारा न्यूजलॉन्ड्री निवेशक महेश मूर्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की सूचना दी थी। उत्पीड़न की यह घटना 2003 से 2016 के बीच हुई थी। प्रौद्योगिकी वेबसाइट फैक्टर डेली के संस्थापक पंकज मिश्रा ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, उद्यम पूँजीपति महेश मूर्ति पर आरोप लगाया था, जो वामपंथी झुकाव वाले स्वघोषित ‘मीडिया वॉचडॉग’, न्यूजलॉन्ड्री में निवेशक भी हैं।
यौन दुराचार को उजागर करने वाली रिपोर्टों में कहा गया है कि रश्मि बंसल नाम की एक लेखिका और एक महिला पत्रकार ने मूर्ति पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था। मूर्ति ने कथित तौर पर एक अनुचित संदेश भी भेजा था। रिपोर्ट में कहा गया था कि बहुत से लोग मूर्ति के कथित दुर्व्यवहार के बारे में जानते थे, लेकिन एक आईटी दिग्गज को छोड़कर किसी ने भी उनके खिलाफ स्टैंड नहीं लिया। 2006 में मूर्ति द्वारा एक महिला कार्यकारी से कथित तौर पर ‘क्या आप वर्जिन हैं’ पूछा गया था और फिर कंपनी ने मूर्ति की डिजिटल मीडिया कंपनी, पिनस्टॉर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया।