महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के भविष्य को लेकर फिर से अटकलें शुरू हो गई है। इस बार वजह सरकार में शामिल राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार की नाराजगी बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाकर अब उन्हें गलती का अहसास हो रहा है। पवार वो शख्स हैं जिन्हें मौजूदा महाराष्ट्र सरकार का शिल्पकार माना जाता है। माना जाता है कि उनकी वजह से ही कॉन्ग्रेस भी शिवसेना के साथ आने को तैयार हुई।
ताजा अटकलों को हवा मराठी दैनिक तरुण भारत की रिपोर्ट से मिली है। इसमें बताया गया है कि पवार को अब पछतावा हो रहा है। उन्हें लगता है कि उद्धव ठाकरे को सीएम बनाना ‘भारी भूल’ थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्धव ठाकरे द्वारा शरद पवार के फोन कॉल का जवाब नहीं देने के बाद, एनसीपी प्रमुख ने शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के सामने इस बात को स्वीकारा कि उन्होंने ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती कर दी। मराठी समाचार पत्र का मानना है कि राजनीतिक हलकों में इस चर्चा का कारण ठाकरे से पवार का मोहभंग होना है।
पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों पर चर्चा के लिए आयोजित ‘पश्चिम बंगाल से पंढरपुर’ नामक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल थाटे ने इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने राउत से कहा कि वह खुद या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए एक बेहतर विकल्प होंगे।
थाटे ने इस दौरान उन पहलुओं पर भी बात की जिससे ममता बनर्जी को बंगाल में जोरदार जीत मिली और जिसे महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में दोहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाला साहेब ने अपने दम पर सत्ता नहीं हासिल की। शरद पवार कभी भी महाराष्ट्र के ममता बनर्जी नहीं बन सकते। न ही यह उद्धव ठाकरे के लिए यह संभव है। शरद पवार 52-55 से अधिक विधायकों के साथ कभी सत्ता में नहीं रहे। महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए ममता बनर्जी का अनुसरण करना असंभव है और न ही ममता यहाँ आकर उनकी ढाल बन सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “ममता की राजनीतिक शैली महाराष्ट्र के अनुकूल नहीं है। साथ ही महाविकास अघाड़ी में फडणवीस के खिलाफ खड़े होने का सक्षम नेतृत्व नहीं है। राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार अवश्यंभावी है। यह जल्द ही होगी।”
थाटे के इन खुलासों से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने वाली शिवसेना के खोखले दावों की पोल खुल गई है। सोमवार (10 मई 2021) को राउत ने कहा था कि विपक्षी दलों को एक साथ आने और एक मजबूत गठबंधन बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था, “देश में विपक्षी दलों का एक मजबूत गठबंधन बनाने की जरूरत है, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के बिना गठबंधन नहीं हो सकता। यह आत्मा होगी। परामर्श के माध्यम से नेतृत्व का निर्णय किया जा सकता है।”