नई दिल्ली। पिछले एक पखवाड़े में यह स्पष्ट हो गया कि पर्याप्त ऑक्सीजन होने के बावजूद खासकर उत्तर और पश्चिमी भारत में सप्लाई मुख्यत: दूरी के कारण प्रभावित रही। ऐसे में जिला स्तर तक के अस्पतालों को ऑक्सीजन आत्मनिर्भर बनाने की योजना के साथ ही केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों में प्राथमिकता के आधार पर ऑक्सीजन प्लांट लगाएगी। राज्यों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाएगा।
कोरोना का प्रभाव क्षेत्र अब धीरे धीरे बदलने लगा है। ऐसे में एक तरफ जहां यह माना जा रहा है कि बहुत जल्द कुछ राज्यों के आवंटन में बढ़ोतरी होगी वहीं आडिट के साथ ही कुछ राज्यों का आवंटन घटेगा।
आकलन और आवंटन का आधार पिछले फार्मूले से बहुत भिन्न होने की संभावना कम है। सरकारी सूत्रों के अनुसार वैज्ञानिक समुदाय अभी तक यह भविष्यवाणी करने में असमर्थ है कि कोरोना का प्रकोप किस क्षेत्र में किस हद तक बढ़ेगा। ऐसे में ऑक्सीजन का आवंटन वर्तमान आकलन पर ही हो सकता है। फिलहाल जो फार्मूला था उसके अनुसार 17 फीसद कोरोना पीड़ित को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। उसमें से 8.5 फीसद को प्रतिदिन 10 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है और तीन फीसद मरीज को प्रतिदिन 24 लीटर की।
वहीं ऑक्सीजन की सप्लाई चेन हमेशा के लिए दुरुस्त करने के लिहाज से नए ऑक्सीजन प्लांट उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों में प्राथमिकता के तौर पर लगेंगे जहां अपनी क्षमता नहीं है। दरअसल ऑक्सीजन टैंकर पर्याप्त हों तो भी पूर्वी भारत से दिल्ली और पंजाब तक इसे लाने में काफी वक्त लगता है क्योंकि ये टैंकर अधिकतम 30-35 किलोमीटिर की रफ्तार से चलते हैं। लिहाजा त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए न सिर्फ हर राज्य में अस्पतालों को ऑक्सीजन आत्मनिर्भर बनाना है बल्कि राज्यों के अंदर भी यह ध्यान रखना है कि कोई हिस्सा ऐसा न रहे जहां ऑक्सीजन की आपूर्ति में बहुत विलंब हो। साथ ही राज्यों को ऑक्सीजन स्टाक की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।