लखनऊ। कोविड-19 की इस दूसरी लहर की भयावह तस्वीरें देश के हर राज्य से आ रही हैं. उत्तर प्रदेश भी इस महामारी की चपेट में है. यूं तो सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने दावा करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में ना तो ऑक्सीजन की किल्लत है ना दवाइयों की कमी है और ना ही अस्पतालों में बेड की दिक्कत है, लेकिन इन दावों की जमीनी पड़ताल कुछ और ही कहानी कहती है. आगरा के पारस अस्पताल में तो 8 मरीजों की ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मौत हो गई.
आगरा के कई निजी अस्पतालों ने अपने दरवाजों पर बेड की अनुपलब्धता के पोस्टर लगा दिए हैं, जिसे देखकर ही मरीज निराश होकर लौट जाए. वहीं कई अस्पतालों ने नोटिस चस्पा करके कह दिया है कि ऑक्सीजन है नहीं, इसलिए अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध खुद करें. जिसे अपनों की फिक्र है वह कुछ भी करें लेकिन ऑक्सीजन लेकर कर आए.
शहर के प्रभा हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन की किल्लत है और अस्पताल की ओर से मरीज के तीमारदारों को अस्पताल की ओर से खाली सिलेंडर और एक चिट्ठी दी जा रही है. इस चिट्ठी में सिलेंडर में ऑक्सीजन रिफिल करने वालों से गुहार लगाई कि मरीज के परिवार को आक्सीजन देने की कृपा करें. आगरा के पारस अस्पताल में तो 8 मरीजों की ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मौत हो गई. अस्पताल में काम करने वाली तनु चतुर्वेदी का कहना है कि सात से आठ लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई है और हमने इसकी जानकारी प्रशासन को दे दी थी.
आगरा के जिलाधिकारी प्रभु सिंह भी ये मान रहे हैं कि हां पिछले 24 घंटों में किल्लत हुई थी लेकिन व्यवस्था जल्दी ठीक हो जाएगी. प्रभु सिंह के मुताबिक मरीजों की संख्या अचानक बढ़ी है इसलिए ऑक्सीजन की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन जल्दी ही सप्लाई पहुंच जाएगी.
राष्ट्रीय राजमार्ग पर भगवती अस्पताल में स्थिति भयावह है. पिछले 3 दिनों से भगवती अस्पताल के बाहर अलग-अलग नोटिस लगाए गए हैं, जिसमें मरीजों के तीमारदारों से कहा गया है कि ऑक्सीजन की किल्लत है कृपया ऑक्सीजन का प्रबंध करें. भगवती अस्पताल की मैनेजर जरीखा खान का कहना है कि दिक्कत हो रही है. इसलिए हम मरीजों के परिवार वालों को जानकारी दे रहे हैं कि वह ऑक्सीजन का प्रबंध करें क्योंकि हमारे पास सप्लाई नहीं आ रही है.
जरीखा का कहना है कि शासन प्रशासन को कई बार हमने ईमेल और फोन के जरिए जानकारी दी है, लेकिन हमें सप्लाई नहीं मिल पा रही है. ऐसे में आखिर हम करें तो करें क्या? जरीखा ने यहां तक कहा कि ऑक्सीजन खत्म होने की स्थिति में हमने लोगों से कह दिया कि जहां बेहतर स्थिति हो अपने मरीज को वहां ले जाएं.
प्रभा जैसे न जाने आगरा में ऐसे कितने अस्पताल है जिन्होंने अपने दरवाजे पर नोटिस लगा दिया है कि बेड उपलब्ध नहीं है. प्रभा अस्पताल के इंचार्ज कहते हैं कि अस्पताल में लगभग 100 मरीज हैं और सब को ऑक्सीजन की जरूरत है और ऑक्सीजन हाई फ्लो पर चल रहा है. कहते हैं कि सप्लाई नहीं हुई तो लोग मरने लगेंगे.
रेमडेसिविर की भी कमी
यहां सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं रिमेडीशिविर इंजेक्शन की भी कमी है. खोजने वालों को ना तो मेडिकल स्टोर पर दवा मिली और ना ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर ही यह इंजेक्शन मिल रहा है. धीरज अपने पिता प्रेम सिंह के लिए रेमेडेसिविर इंजेक्शन के लिए दरबदर चक्कर लगा रहे हैं. उनका कहना है कि हमने सब से गुहार लगाई लेकिन हमें इंजेक्शन नहीं मिला.
पूनम भी अपनी मां के लिए इंजेक्शन की तलाश में है लेकिन तमाम जगह गुहार लगाने के बाद ही उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला. पूनम कहती हैं कि सरकार कहती है इंजेक्शन बहुत है लेकिन हमें तो ब्लैक में भी नहीं मिल रहा. अपनी बात कहते-कहते सुनीता रोने लगीं. लोगों का कहना है कि सारे हेल्पलाइन बेकार हो गए हैं.
डीएम प्रभु सिंह यहां तक कह रहे हैं कि भले ही एक्टिव केस की संख्या 4000 पार कर गई हो लेकिन आगरा में मरीजों के लिए बेड की किल्लत नहीं है और अभी भी उनके डाटा में दो हजार से ज्यादा खाली बेड मौजूद हैं. डीएम के मुताबिक हर जरूरतमंद को बेड मुहैया करवाया जाएगा, प्रशासन और ऑक्सीजन मुहैया कराएगा.
सरकार कितना भी इंकार करें या कोई भी दावे करें , इस महात्रासदी में बुनियादी चीजों की किल्लत हो रही है फिर चाहे वह दवा हो ऑक्सीजन हो या फिर अस्पतालों में बेड हो. जाहिर है अगर इन परिस्थितियों पर काबू नहीं पाया गया और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बेहतर नहीं हुई तो त्रासदी और भयावह हो जाएगी.