पश्चिम बंगाल में गुरुवार (अप्रैल 22, 2021) को छठे चरण का चुनाव होना है, जिसके तहत कई महत्वपूर्ण इलाकों में मतदान होगा। इसमें उत्तरी दिनाजपुर के चोपरा, इस्लामपुर, गोलपोखर और चाकुलिया जैसे विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं, जिनकी सीमाएँ बांग्लादेश से लगती हैं। इस चरण में उत्तर-दक्षिण बंगाल को जोड़ने वाले चिकेन्स नेक से लेकर नदिया और नॉर्थ 24 परगना में बांग्लादेश की सीमा तक, कई इलाके कल मतदान की जद में आएँगे।
जिन 43 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होने हैं, वो उत्तर और दक्षिण बंगाल में फैला हुआ है। इसमें उत्तर बंगाल का दिनाजपुर जिला और दक्षिण बंगाल का बर्धमान पूर्व, नदिया और नॉर्थ 24 परगना शामिल है। उत्तर दिनाजपुर और नदिया की 9, नॉर्थ 24 परगना की 17 और पूर्वी बर्धमान की 8 सीटों पर कल चुनाव होंगे। उत्तरी दिनाजपुर की जिन 4 क्षेत्रों की सीमाएँ बांग्लादेश से लगती हैं, एक तरफ उनकी सीमाएँ बिहार से भी सटी हुई हैं।
चिकेन्स नेक का भारतीय सुरक्षा के लिए बड़ा ही महत्व है और यहाँ हर धर्म के लोग रहते हैं। शाहीन बाग़ में शरजील इमाम ने इसी चिकेन्स नेक को भारत से अलग करने की धमकी दी थी, ताकि पूरा का पूरा उत्तर पूर्व शेष भारत से अलग हो जाए। रणनीतिक रूप से चीन की साजिश भी कभी यही रही थी। इसीलिए, यहाँ अर्धसैनिक बलों की तगड़ी मौजूदगी है। वहीं नॉर्थ 24 परगना के कुछ क्षेत्र हुगली नदी के किनारे बसे हैं।
ये वो क्षेत्र हैं, जो सदियों से जूट मिल का गढ़ रहे हैं। इनमें नैहाटी, भटपारा, जगद्दल और बैरकपुर शामिल हैं। यहाँ भी कई जाति-मजहब के लोग निवास करते हैं। मतुआ समुदाय का झुकाव किस तरफ है, इसका फैसला भी इसी चरण में होगा। बनगाँव उत्तर, बनगाँव दक्षिण, स्वरूपनगर, बगडा और कृष्णनगर दक्षिण में मतुआ समुदाय के लोगों की संख्या खासी अधिक है। इन 43 विधानसभा सीटों में से 9 दलितों के लिए आरक्षित हैं।
भाजपा ने CAA को लागू करने और NRC कानून लाने की योजना को अपना चुनावी वादा बनाया है। ये वही क्षेत्र हैं, जो घुसपैठ की समस्या से तो पीड़ित हैं ही, साथ ही इस्लामी कट्टरता का भी गढ़ बनते जा रहे हैं। वहीं TMC अल्पसंख्यकों को CAA/NRC का भय दिखा कर वोट बटोरना चाहती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन इलाकों में जम कर चुनाव प्रचार किया है।
जबकि तृणमूल की तरफ से ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक ने मोर्चा संभाला हुआ था। अभिषेक बनर्जी के खिलाफ भाजपा हमलावर भी हैं क्योंकि आरोप है कि पार्टी में अब ‘भाईपो’ की ही चलती है और ममता उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में सेट कर रही हैं। मतुआ समुदाय बहुतायत में भाजपा को वोट कर रहा है, ‘खान मार्किट गैंग’ के साथ क्लबहाउस बातचीत में TMC के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ये स्वीकार कर चुके हैं।
सोमवार को इन 43 सीटों पर चुनाव प्रचार भी ख़त्म हो गया है। ECI ने अगले चरणों में 48-72 घंटे तक की साइलेंट अवधि का ऐलान किया है। इस चरण में अर्धसैनिक बलों की 779 कंपनियों का इस्तेमाल किया जाएगा। हाबड़ा से ज्योतिप्रिया मलिक और दमदम उत्तर से चंद्रिमा भट्टाचार्य जैसे मंत्रियों की किस्मत इसी चरण में EVM में कैद होगी। हाबड़ा से भाजपा के राहुल सिन्हा मैदान में हैं। कृष्णानगर से मुकुल रॉय खुद मैदान में हैं।
इन क्षेत्रों के लोगों के लिए बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है। 2018 के पंचायत चुनाव में जिस तरह से TMC ने लोकतंत्र का मजाक बनाया, उससे लोग नाराज हैं। राजनीतिक हिंसा से भी लोग परेशान हैं। लोगों को उम्मीद है कि भाजपा इंडस्ट्री लेकर आएगी। साथ ही एंटी-इंकम्बेंसी भी है। ‘दीदी के बोलो’ और ‘दुआरे सरकार’ के जरिए लोगों के गुस्से को कम करने का सीएम ममता ने प्रयास किया। साथ ही अपनी हिन्दू पहचान को आगे बढ़ाया।
After high-pitched rallies and roadshows, the campaign ended for the sixth phase of #WestBengalPolls on Monday https://t.co/rItHLBctqM
— Hindustan Times (@htTweets) April 20, 2021
कई इलाकों में चेहरे बदल दिए गए। भ्रष्टाचार, तानाशाही और भाई-भतीजावाद के आरोपों को किसी तरह दबाने के लिए प्रशांत किशोर की सलाह पर ये सब किया गया। लेकिन, मुस्लिम तुष्टिकरण पर पार्टी जनता को कोई जवाब नहीं दे पाई। लेफ्ट ने 2006 में इंडस्ट्रियलाइजेशन के वादा कर के सिंगूर, नंदीग्राम और सालबोनी में जरूर उद्योगों को आकर्षित किया, लेकिन विपक्ष के आंदोलन के कारण सब गुड़-गोबर हो गया।
जमीन अधिग्रहण पर लुभावनी नीतियाँ बना कर ममता बनर्जी ने किसी तरह किसानों को अपने पाले में किया। भाजपा केंद्र में भी सत्ता में है, इसीलिए विकास को लेकर लोग उसे तरजीह दे रहे हैं। इससे पहले 1972-77 में ऐसा हुआ था जब नई दिल्ली और कोलकाता में समान पार्टी की सरकार थी। 2019 का लोकसभा चुनाव TMC को सबक सिखाने का था। इस बार जनता अपेक्षाओं की बोझ के साथ भाजपा को चुन रही।
छठे चरण में कुल 306 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है। पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर का मुद्दा भी अपनी रैलियों में उठाया है। उन्होंने पीएम मोदी के पास कोरोना को लेकर कोई प्लान न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वो सही समय पर जिम्मेदारी लेते तो ये सब नहीं होता। ये अलग बात है कि जब EC ने वर्चुअल कैम्पेनिंग की बात की थी तो कॉन्ग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया था।
वहीं भाजपा ने हाल के दिनों में मुख्यमंत्री के उस लीक हुए ऑडियो टेप को मुद्दा बनाया, जिसमें वो कूच बिहार में अर्धसैनिक बलों की गोली से मरे लोगों की बातें कर रही हैं। भाजपा ने उन पर लाशों पर रैलियाँ करने का आरोप लगाया। किस तरह पुराने उद्योग बंद हुए और नौकरी के लिए युवाओं ने पलायन किया, वो भी मुद्दा बना हुआ है। हाल ही में पूर्वी बर्धमान में एक रोडशो में अमित शाह ने ममता को घेरा।