कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान एक ओर जहाँ देश में लापरवाही और संवेदनहीनता की खबरें आती रहती हैं, वहीं दूसरी ओर गुजरात से एक ऐसी खबर आई जिसने कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी की मिसाल कायम की। दरअसल, गुजरात में दो कोरोना डॉक्टर अपनी माँ का निधन होने के बाद उनका अंतिम संस्कार करके तुरंत ही अपनी ड्यूटी पर लौट आए और मरीजों की सेवा में जुट गए। इनमें से एक डॉक्टर की माँ की मृत्यु कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते हुई जबकि दूसरे कोरोना डॉक्टर की माँ बुढ़ापे की परेशानियों के चलते स्वर्गवासी हुईं।
माँ के अंतिम संस्कार के बाद काम पर लौटीं डॉ. शिल्पा :
डॉ. शिल्पा पटेल गुजरात के वड़ोदरा में राज्य द्वारा संचालित SSG अस्पताल में एनाटॉमी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर पदस्थ थीं। उनकी 77 वर्षीय माँ कान्ता अंबालाल पटेल 7 अप्रैल को कोरोनावायरस से संक्रमित हो गईं जिसके बाद उन्हें मेहसाना से वड़ोदरा लाया गया जहाँ उन्हें SSG अस्पताल में भर्ती किया गया। 15 अप्रैल को कान्ता की मौत हो गई।
इसके बाद डॉ. शिल्पा पटेल ने अपने भाई के साथ मिलकर अपनी माँ के शव का कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार किया और पीपीई किट पहनकर अपनी ड्यूटी पर वापस लौट आईं।
परिवार के साथ किया अपनी माँ का अंतिम संस्कार और काम पर लौट आए डॉ. राहुल परमार :
वड़ोदरा के SSG अस्पताल में ही प्रिवेन्टिव एण्ड सोशल मेडिसिन विभाग में पदस्थ डॉ. राहुल परमार की माँ की स्वाभाविक मृत्यु हुई। गुरुवार (15, अप्रैल) को गाँधीनगर डॉ. परमार की माँ कान्ता परमार (67 वर्ष) बुढ़ापे की समस्याओं के चलते स्वर्ग सिधार गईं। डॉ. परमार ने कहा कि उनकी माँ की मृत्यु एक स्वाभाविक मृत्यु ही थी और अपने परिवार के साथ उनका अंतिम संस्कार करके वह वापस अपने काम पर लौट आए। डॉ. परमार मध्य गुजरात के सबसे बड़े अस्पताल में कोविड मैनेजमेंट के नोडल अधिकारी तथा डेड बॉडी डिस्पोजल टीम का हिस्सा हैं।
माँ की ही सीख ने किया प्रेरित :
अपनी माँ की सीख को याद करते हुए डॉ. शिल्पा ने कहा कि उनकी माँ ने सदैव यही कहा कि वो बिना किसी चिंता के अपनी ड्यूटी पर ध्यान दें। यही बात उन्होंने मृत्यु से कुछ घंटे पहले भी कही। अपनी माँ की इसी सीख का सम्मान करते हुए डॉ. शिल्पा ने अपनी माँ का अंतिम संस्कार किया और काम पर लौट आईं।