लखनऊ। यूपी के बाहुबली विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी ने कई ऐसी दुस्साहसिक वारदातों को अंजाम दिया, जिसने उसे खौफ का दूसरा नाम बना दिया. जिनमें सबसे चर्चित गाजीपुर का हत्याकांड है, जिसके तहत 2005 में मोहम्मदाबाद के तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी. दूसरा मामला इससे पुराना है. साल 1991 में वाराणसी के चेतगंज इलाके में अवधेश राय हत्याकांड हुआ था. जिसका इल्जाम भी मुख्तार पर है. यही नहीं यूपी में मुख्तार अंसारी के खिलाफ 52 मुकदमें थे. आइए आपको बताते हैं कृष्णानंद राय हत्याकांड और अवधेश राय हत्याकांड की कहानी, उनके परिजनों की जुबानी.
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने कुछ ऐसी वारदातों को अंजाम दिया, जिन्होंने पूर्वांचल की धरती को हिलाकर रख दिया था. उन्हीं में शामिल है अवधेश राय मर्डर केस और गाजीपुर का कृष्णानंद राय हत्या कांड. कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की हत्या एके-47 से 500 राउंड फायर करके की गई थी. दोनों ही हत्याओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया.
वाराणसी का अवधेश राय मर्डर केस
अवधेश राय के छोटे भाई और कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय बताते हैं कि मुख्तार अंसारी सरकार द्वारा पोषित रहा है. सपा, बसपा की सरकारें और वर्तमान सरकार भी पर्दे के पीछे से मुख्तार अंसारी को पोषित कर रही है और सरकार उनका सही समय पर इस्तेमाल भी करती है. क्योंकि ये लोग किसी के सगे नहीं है. पूरी तरह से अपराध करते हैं और अपराधी प्रवृत्ति के लोग हैं. अपराध में ही शामिल रहते हैं.
अजय राय ने कहा “3 अगस्त 1991 को मेरे बड़े भाई अवधेश राय की हत्या में मुख्तार अंसारी सीधे रूप से शामिल हैं और यह मेरे घर के पास की घटना है और मैं भी वहीं था. पूरी वारदात का मैं चश्मदीद भी हूं और मैं वादी मुकदमा भी हूं. मैंने ही ने उस पर एफआईआर कराई है. हम लोग कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं.”
उस दिन के घटनाक्रम के बारे में अजय राय ने बताया कि 3 अगस्त 1991 के दिन हल्की बारिश हो रही थी और वह अपने भाई के साथ घर के बाहर ही खड़े थे. गाड़ी बाहर खड़ी थी. उसी समय एक मारुति वैन आई, जिसमें मुख्तार अंसारी के साथ और भी लोग थे. सभी ने कार से उतरकर गोली मारी और भाग गए. हम लोग पीछा किए और चिल्लाए भी. बगल में चेतगंज थाना भी है, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान बड़े भाई अवधेश राय गोली लगने से वही गिर गए. हम सभी लोग उनको कबीरचौरा अस्पताल लेकर गए जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
अजय राय के मुताबिक इतना लंबा वक्त बीत जाने के बावजूद वे अपने लक्ष्य की ओर हैं और इतने बड़े अपराधी को सजा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. हमेशा से मुख्तार अंसारी को मौजूदा सरकार चाहे वह सपा की हो या बसपा की या भाजपा की, पोषित करती रही है. 2009 में मुख्तार अंसारी बनारस में लोकसभा का चुनाव भी लड़ने आया था. इसमें कहीं ना कहीं चीजें योजनाबद्ध तरीके से प्लांट की गई थी और भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता उसमें शामिल थे और पूरी तरह से यह लोग मुख्तार अंसारी का सहयोग कर रहे हैं. हम सभी लोग न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं कि हमें नया जरूर मिलेगा.
राय के अनुसार, जहां तक मुकदमे की बात है तो वह फाइनल स्टेज में है. इसमें उनकी पूरी गवाही भी हो चुकी है. जिसके बाद हाई कोर्ट जाकर मुख्तार अंसारी के लोगों ने स्टे कराया था, लेकिन उसे लगकर वैकेट कराया गया. मुझे लगता है कि अंतिम चरण में मुकदमा है और यही एकमात्र ऐसा मुकदमा है जिसमें हम सभी का विश्वास है कि निश्चित रूप से मुख्तार अंसारी को पनिशमेंट मिलेगा और हम सभी को न्याय मिलेगा. हम सभी चाहते हैं कि मुख्तार अंसारी को फांसी की सजा हो. क्योंकि मेरी गवाही और दिए गए साक्ष्य के मुताबिक मुख्तार अंसारी को फांसी की सजा होनी चाहिए.
बीते दिनों शासन प्रशासन से अपनी सुरक्षा को बढ़ाई जाने की गुहार लगाने वाले अजय राय ने बताया “सुरक्षा बढ़ाने की बात तो दूर, पिछले 4 साल से उनके साथ सरकारी गनर था. पूर्व विधायक होने के नाते उसके लिए वे 10 परसेंट अंशदान भी देते आए हैं. लेकिन हफ्ता 10 दिन पहले योगी सरकार ने उस गनर को भी हटा दिया है. अब आप समझ लीजिए मेरी सुरक्षा के प्रति सरकार कितनी गंभीर है और किस तरीके से मुख्तार अंसारी की मदद भी करना चाहती है. इसलिए मैं बार-बार कह रहा हूं कि सरकार पूरी तरीके से डायरेक्ट इनडायरेक्ट रूप से मुख्तार अंसारी की मदद कर रही है. क्योंकि मेरे भाई की हत्या के मामले में मैं वादी मुकदमा हूं और चश्मदीद भी हूं. लगातार आग्रह करने के बाद भी मेरी सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई.”
गाजीपुर का कृष्णानंद राय हत्याकांड
इससे बड़ी और चर्चित हत्या की वारदात 29 नवंबर 2005 के दिन अंजाम दी गई थी. जिसमें मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोगों को गाजीपुर में गोलियों से छलनी कर दिया गया था. हत्या की वजह थी चुनावी रंजिश. क्योंकि मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 2002 में अफजाल अंसारी को हराकर कृष्णानंद राय ने जीत हासिल की थी. कृष्णानंद राय की हत्या उस समय की गई, जब वह भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित एक स्थानीय क्रिकेट प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि बुलाए गए थे. जब वह मैच का उद्घाटन कर वापस आ रहे थे, तभी बसनिया चट्टी के पास घात लगाए हमलावरों ने कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 से 500 राउंड फायर झोंक दिए थे.
इस हमले में कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोग की मौत हो गई थी. इत्तेफाक ये था कि हमेशा बुलेट प्रूफ गाड़ी का इस्तेमाल करने वाले कृष्णानंद राय उस दिन सामान्य गाड़ी से बाहर निकले थे. इस हत्याकांड के दौरान मुख्तार अंसारी जेल में था, लेकिन इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड उसे ही माना जाता है. कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. जिसमें अफजाल अंसारी, संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी शामिल थे. हालांकि मुन्ना बजरंगी की कुछ समय पहले जेल में ही हत्या कर दी गई थी.
इस वारदात के बाद से ही गाजीपुर की राजनीति बदल गई. मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर विधायक होती आ रही हैं. तो मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने विधायकी छोड़ संसदीय चुनाव लड़ना शुरू कर दिया. मामले की दोबारा जांच के लिए प्रार्थना पत्र मिलने पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह मामला सीबीआई कोर्ट में अभी भी चल रहा है.
पंजाब की रोपड जेल से मुख्तार अंसारी को यूपी लाए जाने की मांग करते हुए कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने दो से तीन बार कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पत्र भी लिखा था. लेकिन अलका राय बताती हैं कि कभी भी उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं आया. जबकि उन्हें उम्मीद थी कि एक महिला होने के नाते प्रियंका गांधी उनकी फरियाद सुनेंगी. अलका राय का आरोप है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुख्तार अंसारी को संरक्षण दिया. इतना ही नहीं पंजाब सरकार के जेल मंत्री भी चुपके से लखनऊ आकर मुख्तार अंसारी के परिवार से मिल चुके हैं.
बीजेपी विधायक अलका राय ने बताया कि जब यह वारदात हुई थी, तो उस वक्त सपा की सरकार थी. सपा सरकार भी मुख्तार अंसारी की मदद किया करती थी. इसी वजह से मुख्तार अंसारी का पूरा वर्चस्व था. वो बताती हैं कि हत्या के वक्त कृष्णानंद राय के साथ दो तीन गाड़ियों को मिलाकर 10-12 लोग थे और कुल 7 लोगों की हत्या कर दी गई. उस वक्त दिन के ढाई-तीन बज रहे थे. उस दौरान राजनाथ सिंह से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक सभी आए थे और राजनाथ सिंह तो धरने पर भी बैठे थे कि मुलायम सिंह इस घटना की सीबीआई जांच कराएं, लेकिन मुलायम सिंह तैयार नहीं हुए थे. बहुत कोशिश के बाद सीबीआई कोर्ट में यह मुकदमा चला.
अलका राय ने बताया कि सीबीआई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद मुख्तार अंसारी और बाकी आरोपियों को छोड़ दिया था. क्योंकि मुख्तार अंसारी ने बाकी गवाहों को भी मरवा दिया था और कुछ गवाहों को डरा धमका भी दिया था. इसी वजह से हम केस हार गए, लेकिन एक बार फिर ये केस सीबीआई कोर्ट में चल रहा है और न्याय जरूर मिलेगा. बीजेपी विधायक अलका राय ने बताया कि उन्हें मुख्तार अंसारी से डर नहीं लगता. उन्होंने बताया कि मुख्तार अंसारी को कम से कम फांसी की सजा होनी चाहिए क्योंकि उसने एक दो हत्या नहीं, बल्कि बहुत से लोगों की हत्या की है.