नई दिल्ली। भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, उनके बेटे कार्ती और चार्टर अकाउंटेंट एस भास्कर रमन के विरुद्ध फाइल की गई चार्जशीट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन निवेशों की जानकारी दी है, जो लगभग 10 गुना तक बढ़ चुके हैं। ईडी के द्वारा फाइल की गई चार्जशीट में यह खुलासा किया गया है कि लगभग 65 करोड़ रुपए की संपत्ति का उपयोग मनी लॉन्डरिंग के लिए किया गया। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया समूह से प्राप्त 6.5 करोड़ रुपए की अवैध आय कुछ ही महीनों में बढ़कर 65 करोड़ रुपए की हो गई, जिसका कई जगह निवेश में उपयोग किया गया।
इसके लिए एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड (ASCPL) नामक कंपनी का उपयोग किया गया, जो कार्ती चिदंबरम के मालिकाना वाली एक कंपनी थी। ईडी की चार्जशीट के अनुसार एएससीपीएल ने आईएनएक्स मीडिया को सेवा देने के नाम पर फर्जी इन्वॉइस तैयार कराए और उससे अवैध आय अर्जित की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईएनएक्स समूह से प्राप्त आय से 1.5 करोड़ रुपए का उपयोग करते हुए वासन हेल्थकेयर के डेढ़ लाख शेयर खरीदे गए। बाद में एएससीपीएल ने 30,000 शेयर Sequoia नाम की कंपनी को 22.20 करोड़ रुपए में बेच दिए गए। इसके अलावा 36,245 शेयर वासन मेडिकल को 18.6 करोड़ रुपए में बेचे गए। एएससीपीएल ने एजीएस हेल्थकेयर के 11 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, जो बाद में 29.4 करोड़ रुपए में बेच दिए गए।
बुधवार (24 मार्च 2021) को विशेष अदालत ने ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए 7 अप्रैल को चिदंबरम समेत अन्य सभी आरोपियों को कोर्ट के सामने हाजिर होने के लिए कहा है। ईडी की चार्जशीट में चिदंबरम के विरुद्ध यह आरोप भी दाखिल किए गए हैं कि उन्होंने आईएनएक्स के प्रमोटर्स से अपने बेटे के ‘व्यापार हितों’ को सुनिश्चित करने की बात कही। जाँच एजेंसी ने यह भी कहा कि चिदंबरम मनी लॉन्डरिंग में अपने बेटे कार्ती के साथ सक्रिय रूप से शामिल रहे।
बहुचर्चित आईएनएक्स मीडिया केस, मीडिया समूह को विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के लिए दी गई क्लियरेन्स से संबंधित है। 2007 में यूपीए के शासनकाल में चिदंबरम के वित्तमंत्री रहते हुए आईएनएक्स मीडिया समूह ने 305 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग प्राप्त की थी, जिसके लिए फ़ॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) क्लियरेन्स में धांधली की गई थी।
केन्द्रीय जाँच एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में यह भी कहा है कि 2008 में पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी, कार्ती से दिल्ली के हयात होटल में मिले थे और उससे एफआईपीबी अप्रूवल के विषय में चर्चा की थी। ईडी के मुताबिक कार्ती ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक मिलियन डॉलर की माँग की और अपने वित्त मंत्री पिता के पर्याप्त प्रभाव का हवाला दिया।
ईडी की चार्जशीट में कुछ ईमेल्स का जिक्र किया गया है। इनके अनुसार कार्ती कभी भी अपने द्वारा चलाई जाने वाली कंपनियों से अवैध आय प्राप्त नहीं करता था। इसके स्थान पर ये कंपनियाँ उसके विश्वसनीय चलाया करते थे। इसके अलावा एएससीपीएल से जुड़े मामलों में कार्ती अपने पिता से सलाह लेता था।
आपको बता दें कि आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम जेल भी जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के पहले चिदंबरम 106 दिन कस्टडी में रह चुके हैं।