चार साल में जूझते-जूझते योगी ने उत्तर प्रदेश को बना उत्तम प्रदेश

राजेश श्रीवास्तव

बीते 19 मार्च को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के चार साल बेमिसाल ढंग से पूरे हो गये। बेमिसाल इसलिए क्योंकि शायद वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिनके कार्यकाल में कोई भी दंगा नहीं हुआ। उन्होंने बड़े-बड़े सूरमाओं को धूल चटा दी। आतंक के पर्याय माने जाने वाले मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे लोंगों को दुबकने को मजबूर कर दिया। कभी जिनके आगे पूरा प्रशासन नत-मस्तक रहता था, उनकी अवैध सपंत्तियों को होमगार्ड के जवान लगाकर जेसीबी चलवा दिया। यह शायद मुख्यमंत्री की ताकत ही है। ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्री के रूप में यह ताकत सिर्फ योगी आदित्यनाथ को ही हासिल हुई है। यह ताकत इससे पहले के मुख्यमंत्रियों को भी हासिल थीं लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल को सिर्फ अंधा बांटे रेवड़ी आपा-आपा देय की कहावत पर अमल करते-करते ही बिता दिया। रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म के सूत्रवाक्य के साथ अपने चार साल का जश्न मनाने उतरे मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की योजनओं का 13० पेज का हैंडबुक रूपी पुलिंदा छपवाया है। लेकिन उनकी जो योजनाएं वास्तव में अनोखी हैं उनमें मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना, 2० चीनी मिलों का आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण, मिशन शक्ति अभियान, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना, 46 वर्षों से लंबित बाण सागर परियोजना का पूर्ण किया जाना, पांच वर्ष में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, 3० नये मेडिकल कालेज, दो एम्स, पांच एक्सप्रेसवे, नोएडा फिल्म सिटी की स्थापना सरीखी ऐसी कई योजनाएं हैं। जो योगी आदित्यनाथ को अन्य मुख्यमंत्रियों से अलग करती हैं। यही कारण है कि विपक्ष उनके सामने कहीं दिखायी नहीं दे रहा है।
भले ही विपक्ष यह कहे कि एक्सप्रेस वे अभी पूरा नहीं हुआ, बात सही है। पर इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाये गये। क्या विपक्ष इस बात का जवाब दे सकता है कि उनके समय में बाहुबलियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हुई। योगी सरकार ने साहस करके 5०० करोड़ की बाहुबलियों की अवैध संपत्ति जब्त की। आखिर यह किसके काम आयेगी। 1००० एकड़ जमीन पर नोएडा में बनने वाली फिल्म सिटी में काम तो शुरू होगा तो यूपी में ही राजस्व आयेगा। यूपी के ही कलाकारों को मुंबई में नहीं भटकना होगा। अखिलेश सरकार ने जया बच्चन और अमर सिंह को लाकर उत्तर प्रदेश के कौन से कलाकारों को मान दिलाया और यूपी में कितना राजस्व आया। सिवाय इसके कि उनकी सरकार की चुनावी रैलियों में फिल्मी सितारों ने साइकिल चलायी। अखिलेश यादव लाख दावा कर लें पर बीती सरकार में क्या हुआ। सिर्फ यहीं कि एक विश्ोष वर्ग हावी था। छोटे-छोटे व्यापारियों को मुख्तार भाई की धमकी देकर वसूली की जाती थी, यही न । माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण इस कदर हावी था कि लोग अपने आप को सुरक्षित नहीं महसूस करते थ्ो। आप इसी से उनकी स्थिति समझ सकते हैं कि खुद सपा मुखिया कहते हैं कि ऐसे लोगों की सूची बनायी जा रही है सरकार आने पर उनसे निपटा जायेगा और यही आज उनके कार्यकताã भी कहते हैं कि चिंता मत करिये हमारी सरकार आने दीजिये। योगी सरकार ने इसी भ्रम को दूर किया है। आम आदमी को दो वक्त की रोटी, अपना व्यवसाय और काम करने का सुकून, अपराध पर नकेल यही कारण है जिसके चलते आम आदमी अन्य परेशानियों को सहकर भी भाजपा के साथ खड़ा है। और यही कारण है कि हर सर्वे यही कह रहा है कि योगी सरकार की वापसी तय है।
मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में जिस तरह की कार्यश्ौली अपनायी वह अभी लोग भूले नहीं हैं। एक-एक बच्चे की दूसरे राज्यों से घर वापसी, सबको राशन, पूरे देश में एक राशन कार्ड, कोरोना कालखंड में 56 हजार करोड़ का विदेशी निनवेश प्रस्ताव उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश में आगे बढ़ा रहा है। शायद यही सब कारण है कि महंगाई, बेरोजगारी, के बावजूद उत्तर प्रदेश में इस समय लोग खौफ में नहीं जी रहे हैं। आम आदमी की सुनवाई हो रही है। पुलिस तंत्र को सरकार ने इतना मजबूत कर दिया कि मंत्री बौने हो गये। पूर्व सरकार में जिस तरह लाल टोपी पहनकर लोग जाते थ्ो और पुलिस कर्मिैयों को थाने में बंधक बना लेते थ्ो। वह दिन भी अभी लोग भूले नहीं है।
मुख्यमंत्री बखूबी जानते हैं कि उनकी यह श्ौली लोगों को रास आ रही है। इसीलिए वह विधानसभा में बोलते हैं कि जो जिस भाषा में समझेगा, उसे उसी भाषा में समझाया जायेगा। विधानसभा में ही क्यों वह तो अपनी हर जनसभा में इसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि मुख्मयंत्री को पता है कि उनकी इस श्ौली को उत्तर प्रदेश के लोग पसंद करतेे हैं। उनकी इसी अदा का उत्तर प्रदेश कायल हो गया है और यह तय है कि उत्तर प्रदेश में 2०22 में योगी सरकार के सामने कोई चुनौती नहीं है। हो सकता है कि सरकार इससे बेहतर की स्थिति में रहे, तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। क्योंकि अखिलेश यादव, मायावती, ओवेैसी, उनके सामने किसी तरह की चुनौती खड़ी करने की स्थिति में नहीं हैं । उनके पास कोई रोडमैप नहीं है। लोग पिछली सरकार का गुंडाराज अभी भूले नहीं हंै। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किस तरह एक समुदाय हावी था। सड़क पर खुलेआम चलना दूभर था। प्रदेश में सिर्फ एक वर्ग को खास तरजीह दी जाती थी। आज वैसी परिस्थितियां नहीं हैं।