कोलकाता। बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी में शामिल हो गये हैं, उन्होने कोलकाता के बिग्रेड परेड मैदान पर पीएम मोदी की मौजूदगी में बीजेपी का झंडा थामा, कहा जा रहा है कि मिथुन चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन पार्टी की ओर से स्टार प्रचारक की भूमिका निभाएंगे, आपको बता दें कि पिछले दिनों उनकी मुलाकात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से हुई थी, इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी, कि वो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।
आपको बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती नक्सल आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे, जिसकी वजह से कई महीनों तक अंडरग्राउंड रहे, हालांकि बाद में उनका मोहभंग हो गया, फिर सीपीएम से काफी समय तक उनका जुड़ाव रहा, 80 के दशक में उन्होने सीपीएम के लिये तमाम स्टेज शो किये और इसके लिये कोई पैसे नहीं लिये। ज्योति बसु के जाने के बाद मिथुन दा का सीपीएम से नाता टूट गया।
इसके बाद 2011 में ममता बनर्जी से करीबी बढी, दीदी ने उन्हें राज्यसभा भेजा, हालांकि एक इंटरव्यू में मिथुन दा ने दावा किया था कि 2014 में राज्यसभा जाने से 10 साल पहले भी उन्हें अप्रोच किया गया था, राज्यसभा का ऑफर था, लेकिन उन्होने ठुकरा दिया था। 2014 में दूसरी बार ममता ने उन्हें राज्यसभा का ऑफर दिया, तो भी वो कुछ खास इच्छुक नहीं थे, उन्होने दीदी से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा, तो ममता बनर्जी ने कहा, आप नामांकन फाइल करने की तैयारी कीजिए, मैं विचार करती हूं।
मिथुन के नाम पर माथापच्ची चल ही रही थी, कि इसी दौरान एक्ट्रेस सुचित्रा सेन का निधन हो गया, मिथुन उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये कोलकाता पहुंचे थे, कोलकाता केवड़ातला श्मशान घाट में सुचित्रा सेन का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, इसी दौरान दीदी ने मिथुन से कहा कि वो अपना मन बना चुकी हैं, वही पार्टी की ओर से उम्मीदवार होंगे।
इस वजह से दीदी से दूरी
राज्यसभा सदस्यता के कुछ महीनों बाद ही मिथुन चक्रवर्ती का नाम करोड़ों के सारदा चिटफंड घोटाले में आया, ईडी ने उनसे पूछताछ भी की, कथित तौर पर इस घटना के बाद मिथुन पैनिक हो गये, उन्हें लगा कि वो मोदी और ममता बनर्जी के बीच सियासी खींचतान के शिकार हो सकते हैं, अप्रैल 2015 में सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। लेकिन दीदी से रिश्तों में दरार की शुरुआत हो चुकी थी, मई 2016 में विधानसभा चुनाव में उन्होने टीएमसी के लिये प्रचार भी नहीं किया, कुछ महीने बाद ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।