पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन जारी है, प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी अगर इस बार भी जीत हासिल करती है, तो ममता तीसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बन जाएंगी, इस बार के चुनाव में टीएमसी की टक्कर सीधे बीजेपी के साथ बताई जा रही है, हालांकि एक समय था, जब ममता बनर्झी खुद बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में शामिल थी, हालांकि तब भी वो एनडीए सरकार के लिये सिरदर्द ही बनी रहती थी।
ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में रेल मंत्री थीं, वो अकसर सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते रहती थी, कभी मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर तो कभी मंत्रालयों में कामकाज के बंटवारे पर। वाजपेयी जी की जीवनी विजय त्रिवेदी की किताब हार नहीं मानूंगा- एक अटल जीवन गाथा में बताया गया है कि जब ममता रेल मंत्री थी, तो सरकार के लिये अकसर कोई ना कोई मुसीबत पैदा करती रहती थीं।
तब एक बार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढोतरी को लेकर ममता बनर्जी सरकार से काफी नाराज हो गई, उन्हें मनाने के लिये केन्द्र की ओर से जॉर्ज फर्नांडीस को कोलकाता भेजा गया, लेकिन काफी इंतजार करने के बावजूद ममता दीदी जॉर्ज से नहीं मिली। इसके बाद एक दिन अचानक खुद प्रधानमंत्री अटल जी ममता के घर पहुंच गये, उस दिन ममता दीदी खुद कोलकाता में नहीं थी।
ममता बनर्जी के घर पहुंच कर पीएम वाजपेयी ने ममती की मां के पैर छुए और उनका हालचाल पूछा, इसके साथ ही अटल ने ममता की माता जी से मजाकिया लहजे में कहा, आपकी बेटी बहुत शरारती है, बहुत तंग करती है, अटल जी के इस कदम से ममता का गुस्सा गायब हो गया, हालांकि कुछ समय बाद ममता बनर्जी दूसरे मुद्दों पर एनडीए सरकार से अलग हो गई।